भदोही जनपद का कुढ़वा गांव एक बार फिर प्रधान के अधिकार सीज होते ही सुर्खियों में है लेकिन अब ब्राम्हण के युवा असमंजस में फंस गये हैं कि ‘भौजी’ को बचायें या ‘भ्रष्टाचार’ मिटायें। अधिकांश युवा बताते हैं कि प्रधान का कार्य देखने वाले उनके देवर ने ही भ्रष्टाचारी कारनामों को अंजाम दिया है, शासकीय शिकंजा में प्रधान (भौजी) का नाम बेवजह बदनाम हो रहा है।
गौरतलब है कि भदोही जिलाधिकारी राजेंद्र प्रसाद ने जहां कुढ़वा ग्राम प्रधान संगम देवी का वित्तीय एवं प्रशासनिक अधिकार सीज कर दिया है, वहीं ग्राम विकास अधिकारी संजय कुमार दूबे और संजय सरोज के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई का निर्देश भी डीडीओ को दिया। अंतिम जांच के लिए उप निदेशक कृषि, जिला अर्थ एवं संख्या अधिकारी और सहायक अभियंता लोक निर्माण विभाग को नामित किया। डीएम ने अंतिम जांच आख्या आने पर प्रधान और सचिव पर विधिक कार्रवाई की बात कही है, वहीं विकास कार्य कराने के लिए समिति गठित करने का निर्देश दिया है।
क्या है माजरा – गांव के ही शिव प्रसाद पांडेय ने डेढ़ साल पूर्व जनता दर्शन में प्रार्थना पत्र देकर गांव के विकास कार्यो में धांधली का आरोप लगाया था। प्रशासनिक स्तर पर सुनवाई न होने पर शिकायतकर्ता ने हाईकार्ट में रिट दाखिलकर मंडलायुक्त को पार्टी बनाया, जिसके बाद कोर्ट के हस्तक्षेप से विकास कार्यों की जांच कराई गई। उक्त दौरान के ग्राम पंचायत में विकास कार्य नाली, खड़ंजा, आंगनवाड़ी केंद्र निर्माण में करीब दो लाख 91 हजार की धांधली मिली।
‘भौजी’ को बचायें या ‘भ्रष्टाचार’ मिटायें..भ्रष्टाचार के खिलाफ विभिन्न मुद्दों को लेकर आवाज उठाने वाले कुढ़वा गांव के अधिकांश ब्राम्हण युवा अब असमंजस की स्थिति में हैं। वे कहते हैं कि ‘एक तरफ ग्राम प्रधान (भौजी) हैं, तो दूसरी तरफ भ्रष्टाचार की जंग। ऐसी स्थिति में ‘भौजी’ को बचायें या ‘भ्रष्टाचार’ मिटायें…यह समझ में नहीं आ रहा है क्योंकि गांव के पिछले महीनों में भी दर्जनों ज्यादा विकास कार्यों में भ्रष्टाचार हुआ है, जिसकी जड़ कामकाज देखने वाला मास्टर माईंड उनका देवर विमलेश शुक्ला है।
भ्रष्टाचार ग्रसित – इस गांव के कुछ युवा बताते हैं कि ‘हमारा कुढ़वा ‘भ्रष्टाचार’ के ‘कोढ़’ से ग्रसित हो चुका है, जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण है कि कुछ महीनों पूर्व त्वरित विकास योजना के तहत विमलेश के घर से मिश्रा बस्ती तक इंटरलाकिंग मार्ग में शिकायत पर सीडीओ विवेक त्रिपाठी ने जांच कराई तो निर्माण में खामियां मिली थी। इतना ही नहीं जांच में पाया गया था कि अवर अभियंता आरईएस की ओर से बिना हकीकत देखे ही कार्यदायी संस्था को भुगतान कराने की संस्तुति कर दी थी। सीडीओ ने इस प्रकरण में अवर अभियंता आरईएस के साथ ही कार्यदायी संस्था के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए कहा था। यही बानगी राशन वितरण के कोटे को लेकर भी देखने को मिली थी, वह भी कालाबाजारी खुलासे से कुढ़वा को सुर्खियों में लाया था।

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