उत्तर प्रदेश में शासनिक अधिकारियों की मजबूरी ‘कोरोना संकट’ के दौरान शायद ही समझा जा सके क्योंकि कई जिलों की स्वास्थ्य सुविधा अपंगता से नग्न है। ऐसी स्थिति में अधिकांश उदासीन अधिकारी भी सत्तादंभ से ग्रसित हैं, जो यथार्थ बोलकर फजीहत मोल नहीं लेना चाहते हैं। फिलहाल भदोही जनपद की बात करें तो यहां सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर ही नहीं है और ‘सौ शैया’ का एक हाइटेक जिला अस्पताल 11 वर्षों में भ्रष्टाचार के कलंक से मुक्त होकर मरीजों की सेवा तक नहीं समर्पित हो पाया।
मिडिया रिपोर्टस के मुताबिक जिले में कोरोना संक्रमितों की संख्या में रविवार को बड़ा इजाफा हुआ। एक साथ नौ कोरोना पॉजिटिव मिलने से प्रशासनिक अफसरों में खलबली मच गई। ज्ञानपुर जिला मुख्यालय से सटे सरपतहा गांव निवासी एक व्यक्ति सप्ताह भर पूर्व 18 मई को ट्रक से मुंबई से घर आ रहा था। मिर्जापुर के लालगंज के पास ट्रक में खून की उल्टी होने के बाद उसकी मौत हो गई। साथ के अन्य सहयोगियों ने फोन कर उसके घर जानकारी दी। यहां से उसके लड़के दूसरा वाहन लेकर लालगंज गए और शव लेकर आये। रामपुर घाट पर अंतिम संस्कार करने जाते समय स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना संदिग्ध मानते हुए स्वैब जांच के लिए भेजा। 20 मई को उसकी रिपोर्ट पॉज़िटिव आने पर स्वास्थ्य विभाग और प्रशासनिक अफसरों में खलबली मच गई। फिलहाल भदोही वासियों में सवाल भी है कि क्या ‘योगीराज’ में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा अत्याधुनिक अस्पताल मरीजों को अपनी सेवा दे पायेगा या यूं ही बिना वेंटिलेटर सांसे तड़पती रहेगी।
फिर इनकी हुई जांच – 21 मई को उपरोक्त मृतक के अंतिम संस्कार में शामिल बेटे,भाई और करीबी 13 लोगों का सैंपल जाँच के लिए भेजा गया, जिसके बाद सरपतहा गांव की पाल बस्ती समेत कलेक्ट्रेट को भी सील कर दिया गया। रविवार रात को करीब आठ बजे नौ लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर खलबली मच गई। जिलाधिकारी राजेंद्र प्रसाद ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने बताया कि सरपतहा निवासी वृद्ध के अंतिम संस्कार में शामिल होने वाले हैं सभी। नौ नए केस आने से जिले में अब कोरोना संक्रमितों की संख्या दो दर्जन के करीब पहुंच गई, जिसमें तीन स्वस्थ हो कर घर जा चुके हैं।
कुछ दिनों बाद बढ़ती तड़पन…राज्य सरकार के सरकारी पुष्टि प्राप्त आंकड़े बता रहे हैं कि अभी भी खून-स्वैब जांच वगैरह की मशीनरी से सिर्फ 5हजार लोगों की रिपोर्ट प्रतिदिन आ रही है, जबकि राज्य की आबादी 23 करोड़ है। इन्हीं 23 करोड़ में से लोग अभी बतौर परदेसी लौट रहे हैं। फिलहाल अचंभा यह व्यक्त किया जा रहा है कि यदि उक्त मृतक का स्वैब जांच शासनिक अधिकारी तत्परता से नहीं करवाते, तो अंतिम यात्रा में शामिल लोग यूं ही कोरोना पाॅजिटिव होकर गांव-समाज में संक्रमण बढ़ाते और कुछ दिनों बाद शायद बढ़ जाती तड़पन.!

सावधान…सिर्फ ‘थर्मल स्क्रीनिंग’ से नहीं हटेगा संकट, ऐसे लक्षण छिपा रहे हैं कुछ परदेसी.!