उत्तर प्रदेश की राजनीति में सरकारी कार्यों की ठेकेदारी करके विधायक बनने वालों को तत्कालीन राज्यपाल राम नाईक ने सर्वश्रेष्ठ सीख दी थी, जिसके बाद भी वर्तमान दौर में भी यूपी के कई विधान सभा क्षेत्र में विधायक या उनके परिवार के लोग ही सरकारी ठेका कार्य हथियाकर जमंकर भ्रष्टाचार कर रहे हैं। ऐसे में यदि जुल्मों-सितम ढ़ा रहे विधायक से मुक्ति चाहिये तो बेहिचक लोकायुक्त के दरबार में शिकायत कीजिये…
यूपी में बीजेपी और बीएसपी के दो विधायकों को सरकारी ठेकेदारी करने के इल्ज़ाम में बर्खास्त कर दिया गया था। यह वो दौर था जब मुंबई से उत्तर प्रदेश पहुंचे बतौर राज्यपाल तटस्थ व निष्पक्ष भूमिका निभा रहे थे भाजपा के सर्वश्रेष्ठ नेताओं में शुमार राम नाईक । बलिया ज़िले की रसड़ा सीट से बीएसपी विधायक उमा शंकर सिंह और महाराजगंज ज़िले की फरेन्दा सीट से बीजेपी विधायक बजरंग बहादुर सिंह के खिलाफ लोकायुक्त से शिकायत की गई थी कि वे बड़े पैमाने पर सरकारी ठेकेदारी कर रहे हैं। लोकयुक्त न्यायमूर्ति एनके मेहरोत्रा ने जांच में दोनों विधायकों के खिलाफ इल्ज़ाम सही पाए थे और सरकार को उन्हें बर्खास्त करने की सिफारिश की थी। लोकायुक्त ने बीएसपी विधायक उमाशंकर सिंह के बारे कहा था कि “उमाशंकर सिंह खुद व पारिवारिक कंपनियों में अब तक एक हज़ार करोड़ के ठेके पीडब्लूडी से लिए हैं। जो पहले के ठेके हैं, वे भी चल रहे हैं और जो बाद के हैं वे भी चल रहे हैं। इसी तरह जांच में बजरंग बहादुर सिंह पर भी ठेके लेने के आरोप सही पाए गए हैं। वह भी काफी बड़े सरकारी ठेकेदार हैं।”
लोकायुक्त की सिफारिश सरकार ने राज्यपाल के पास भेज दी थी। राज्यपाल ने भी आरोपों को सही पाया था और उमाशंकर सिंह के विधायक निर्वाचित होने की तारीख छह मार्च 2012 से विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ उमाशंकर हाईकोर्ट गए थे, पर 28 मई 2016 को हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को प्रकरण में खुद जांच कर राज्यपाल को अवगत कराने का आदेश दिया। राज्यपाल को इस प्रकरण में अनुच्छेद 192 के तहत अपना निर्णय लेना था। 14 सितम्बर को राज्यपाल ने चुनाव अयोग को पत्र लिखकर जांच के निर्णय से अवगत कराने को कहा था। इसके बाद चुनाव आयोग से मिले पत्र के बाद राज्यपाल ने शनिवार 14 जनवरी 2017 को अपना फैसला सुनाते हुए विधायकी खत्म कर दी थी।
राज्यपाल राम नाइक ने स्पष्ट किया था कि “बीएसपी विधायक उमाशंकर सिंह चूंकि विधायक बनने से पहले से सरकारी ठेकेदारी कर रहे हैं, इसलिए उन्हें विधायक बनने की तारीख से बर्खास्त किया गया हैं। लेकिन चूंकि बीजेपी विधायक बजरंग बहादुर सिंह ने विधायक बनने के बाद ठेका लिया है, तो उन्हें उसी तारीख से बर्खास्त किया गया है।”

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