‘ग्रामवासियों’ का ‘दर्द’, ‘बहरानाथ’ अब तो ‘सुनिये’..
दिल को खटके,
जरा हटके…😜
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सुनिये गांव के परधान, करिये थोड़ा एहसानजी
लाखों लूट-खाके मौन,...
घर-परिवार में बैठ, पहले खदेड़ो ऐ कोरोना…
दिल को खटके,
जरा हटके…😜
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कोरोना' देखो ट्रेन-बस, तलाश रहा शिकार
जनता के द्वारा करफू,...
हार-हार क अतित पथ, बोले जीत के पार हैं..😜
दिल को खटके,
जरा हटके…
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राजनीति क 'गलियन' में, गोलगड़ा क खेल
भ्रष्टाचारिन क आपस में, 'दोना चटुआ'...
‘नेताईन’ से भी मिलिये, ‘होली’ है होली…
दिल को खटके, ...
‘व्यंग्य’ लिखने के लिये ‘निर्भीकता’ जरूरी, डाॅ. वागीश सारस्वत, शेखर अस्तित्व एवं पंकज प्रसून...
अखिल भारतीय सर्वभाषा संस्कृति समन्वय समिति के बारहवें राष्ट्रीय अधिवेशन में संस्था की ओर से सारेगामापा स्टूडियो में 3 फरवरी को अखिल भारतीय सम्मान...