हर कोई अपने साथी, भाई, रिश्तेदार या स्वयं पर हुए अन्याय के लिए लड़ रहा था. कुछ लोग इंसानियत की लड़ाई रहें थें. स्थानीय नेताओं ने भी मोर्चा संभाल लिया था लेकिन ‘मेरू’ के दो प्रशासनिक कर्मचारियों से मिलने के बाद अचानक कल्याण जीआरपी को क्या हो गया पता नहीं, डीसीपी स्तर तक की बैठक हुई लेकिन FIR की कापी नहीं मिली. खैर..इसी तरह रात को १२ बज चुके थे और ‘मेरू’ के चालकों ने कल्याण जीआरपी कार्यालय घेर रखा था. स्थानीय नेताओं के दबाव में मेरू द्वारा फर्जी पावती देकर पैसा वसूली के लिए चिटिंग,मानसिक प्रताड़ना के लिए १७४ एवं विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज हो रहा था. इन्हीं मेरू चालकों में शांति से धरना बैठा एक युवा नजर आया शैलेश तिवारी. अचानक FIR की कापी मिली, जिसमें मेरू टैक्सी चालक की मौत का जिक्र ही नहीं था. फिर क्या था खौल उठा लोगों का खून और शैलेश तिवारी ने कल्याण जीआरपी के उच्चाधिकारियों के समक्ष खड़े होकर आक्रोशित हुए शायद खून उनका भी खौल रहा था….
उठाएं कई सवाल 👉👉 जिसमें एक सवाल यह भी था कि मेरू प्रशासन से पैसा खाएं हो साहब तो कोई बात नहीं लेकिन इंसानियत का कत्ल तो मत करो 👉 हमें सिर्फ FIR की कापी चाहिए…मृतक राजकुमार मिश्रा मेरू टैक्सी चालक की मौत का…वो भी दफा गैरइरादतन हत्या का मेरू प्रशासन के खिलाफ….
अचानक कल्याण जीआरपी के उच्चाधिकारियों ने फिर बहानेंबाजी शुरु की लेकिन सुबह से बार-बार FIR हो रहा है सुन चुके थे शैलेश तिवारी. उच्चाधिकारियों के चेहरे की चमक उड़ चुकी थी वो नजरें नहीं मिला रहे थे….फिर क्या था सब्र का बांध टूटा एवं जीआरपी प्रशासन के समक्ष बिना उग्र हुए नारेबाजी करके अपना दुखड़ा सुनाने का अभियान शुरू हुआ…शायद जीआरपी के साहब को खामियां नजर आई या रहम आया और FIR में मजबूरन मांग की जा रही सभी धाराएं जोड़कर FIR की कापी हाथ में रात १.३० पर दे दिया…
दो दिनों से लाश का दाह संस्कार नहीं करके एक FIR के लिए परेशान मेरू टैक्सी चालकों के आंसू छलक गए एवं शैलेश तिवारी जिंदाबाद के नारे लगाने शुरु कर दिए..फिर आंखें नम हुई शैलेश तिवारी की भी एवं स्वयं नारा बंद करवाया एवं इस दुखद घटना में सहयोग के लिए तत्पर रहने का भरोसा दिलाते हुए स्वयं को छोटा भाई माना। कई स्थानीय नेताओं का पूर्ण सहयोग रहा जिनके नामों का जिक्र मैं अपने लेख में अवश्य करूंगा लेकिन यहां बात मैं शैलेश तिवारी की कर रहा हूँ, जिसने दो दिनों से परेशान पीड़ित परिवार के साथ खड़े होकर एवं मेरू प्रशासन के खिलाफ मामला दर्ज करवाने में अहम् भूमिका निभाई। इसके बाद अब मेरू टैक्सी चालक राजकुमार मिश्रा का दाह- संस्कार हो जाएगा।
आपको आश्चर्य होगा कि शैलेश तिवारी को मैं जानता तक नहीं…मैं तो दो दिनों से लगातार कल्याण के सर्व समाज के स्थानीय नेताओं एवं समाजसेवी संगठनों, उत्तर भारतीय नेताओं एवं संस्थाओं सहित सरयुपारिण ब्राह्मणों से बतौर इंसानियत सहयोग की अपील कर रहा था एक मुखिया विहिन हुए पीड़ित परिवार के लिए 👉 सर्वदलीय स्थानीय नेता एवं समाजसेवी रात्रि १ बजे तक सहयोग हेतु आते रहे एवं FIR के लिए जीआरपी प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष डटे रहें लेकिन “उत्तर भारतीय नेता महोदय एवं संस्था महोदय” शायद कोई नजर नहीं आया एवं नजर आए तो सिर्फ अन्य।
👉 दोपहर से रात तक स्थानीय पत्रकार एवं सामाजिक संगठन से जुड़े रोहित शुक्ला इस मामले में कल्याण जीआरपी कार्यालय पर सहयोग हेतु प्रयासरत थें. उन्होंने बताया कि शैलेश तिवारी कांग्रेस से जुड़े जुझारू पदाधिकारी हैं लेकिन शैलेश ने तो स्वयं को मेरू टैक्सी चालकों का छोटा भाई बताया….
👉 क्या कहूं इस युवा को…कांग्रेस पदाधिकारी, समाजसेवी, उत्तर भारतीय, ब्राह्मण, सरयूपारीय ब्राह्मण, इंसानियत से पूर्ण इंसान
👆👉 यह मुझे पता नहीं…लेकिन समाज के ठेकेदारों से एवं उत्तर भारतीय समाज के नाम पर दुकानदारी करने वालों से जानकारी लेने का प्रयास है कि क्या कहूं इस युवा को…यदि मुझ नामझ को बता देते तो ठीक था।
आपका
सुनील तिवारी
०९८९२७४६३८७
क्षमा करें मैं उग्रता का समर्थक नहीं हूँ लेकिन सब्र का बांध टूट जाने के बाद नारेबाजी के माध्यम से अपनी आवाज शासन-प्रशासन पहुंचाने के लोकतांत्रिक अधिकार की हिमाकत जरूर करता हूं।
SUNIL S. TIWARI