खरमास को काफी लोग मलमास भी कहते हैं जिसका अभिप्राय अच्छा नहीं होता, या यूँ कहें कि इस माह को शुभ नहीं माना जाता। लोकाचार के अनुसार इस माह को भले ही शुभ न माना जाता हो किंतु ज्योतिषीय गणना अनुसार इस माह की बहुत महत्ता है। ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री के अनुसार इस माह का कोई नहीं था अत: इसे प्रभु श्री कृष्ण ने अपने चरणों में स्थान दिया और यह माह प्रभु श्रीकृष्ण का प्रिय माह बन गया। यही वजह है कि तब से इसे इसे मलमास की जगह पुरुषोत्तम माह कहा जाने लगा। मान्यता है कि जिस गोलोक को पाने के लिए ऋषि मुनि युगों तक तप करते हैं उस धाम की प्राप्ति इस माह में ब्रम्हमुहूर्त में स्नान करने से ही प्राप्त हो जाती है।
इस वर्ष यह माह १५ दिसंबर २०२१ से १४ जनवरी २०२२ तक रहेगा। मान्यता है कि खरमास के दिनों में सूर्यदेव धनु और मीन राशि में प्रवेश करते हैं। इसके चलते बृहस्पति ग्रह का प्रभाव कम हो जाता है. गुरु शुभ कार्यों के कारक ग्रह हैं और लड़कियों की शादी के कारक गुरु माने जाते हैं। अत: गुरु कमजोर रहने से शादी में देर होती है। साथ ही रोजगार और कारोबार में भी बाधा आती है। इसके चलते खरमास के दिनों में कोई शुभ कार्य नहीं किए जाते।।
ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री का कहना है कि खरमास में इन नियमों का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए, जो इस प्रकार हैं…..
1. खरमास का महीना दान और पुण्य महीना होता है। मान्यता है कि इस माह में बिना किसी स्वार्थ के किए गए दान का अक्षय पुण्य प्राप्त होता है। इसलिए खरमास के महीने में जितना संभव हो, जरूरतमंदों को दान करना चाहिए।
2. ये महीना भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की विशेष पूजा का माह होता है। ऐसे में आप नियमित रूप से गीता का पाठ करें। विष्णु सहस्त्रनाम पढ़ें और श्रीकृष्ण और विष्णु भगवान के मंत्रों का जाप करें।
3. खरमास में तुलसी की पूजा करना से लाभ मिलता है। शाम के समय में तुलसी के पेड़ के सामने घी का दीपक जलाना चाहिए। ऐसा करने से आपके जीवन की परेशानियां कम होती है।
4. खरमास के दौरान रोजाना सुबह सूर्योदय से पूर्व उठना चाहिए और सूर्य को जल देना चाहिए। मान्यता है कि इस दौरान सूर्य देव कमजोर होते हैं। ऐसे में उनकी पूजा करना शुभ माना जाता है।
5. खरमास के महीने में गौ सेवा का विशेष महत्व है। इस दौरान गायों का पूजन करें। उन्हें हल्दी का तिलक लगाकर गुड़-चना खिलाएं। हरा चारा खिलाएं। इससे श्रीकृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
खरमास में जहाँ उपरोक्त बातें निश्चित तौर पर जरूरी हैं वहीँ यह बातें वर्जित हैं: जैसे खरमास के महीने में विवाह, जनेऊ, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य। खरमास खत्म होने के बाद आप शुभ मुहूर्त देखकर मांगलिक कार्य कर सकते हैं। मान्यता है कि खरमास के महीने में मांस और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। इनका सेवन करने से जिंदगी में परेशानियां आने लगती हैं। खरमास के महीने में नया कार्य ना शुरू करें। ऐसा करना आपकी आर्थिक स्थिती को मुश्किलों में डाल सकता है। खरमास के महीने में बच्चें का मुंडन जैसे शुभ कार्य को भी ना करवाएं। मान्यता है कि ऐसा करने से बच्चे के भविष्य में भी इससे खतरा हो सकता है।
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