सत्ता-शासन के नेताजी का करीबी बनने के चक्कर में या फिर मजबूरन….कुछ शासनिक अधिकारी सिस्टम व लोकतंत्र भूल जाते हैं. शायद यह भी भूल जाते हैं कि वे किसी नेता या ठेकेदार की सलाह पर चलकर दूजे जनप्रतिनिधि की निधि को कोपभाजन का शिकार बनाना उनकी जिम्मेदारी नहीं है बल्कि जनसुविधाओं हेतु मिली जनप्रतिनिधि की निधि को जनता की सेवा में मजबूती से स्थापित कराने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है. वैसे भी इस बार भले ही ज्ञानपुर विधायक विजय मिश्र सत्ता-शासन में बैठे विरोधियों के कोपभाजन का शिकार बने लेकिन शासनिक अधिकारियों की लापरवाही व कमीशनखोरी को अन्नावादी भूख हड़ताल से सत्ता-शासन को सुचित किया. अंतत: न्याय के उच्चतम् मंदिर से भी अब सचेत करवा दिया. वैसे भी दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि विधायक की निधि से जनहित कार्य में भी शासनिक अधिकारी कमीशनखोरी करने की फिराक में रहते हैं, जैसी कि चिल्लहट चहूंओर मँची है. फिलहाल हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने जिलाधिकारी को निर्देश दिया है कि ज्ञानपुर की जनता के लिए सोलर वाटर पंप टेंडर कराकर जनहित में स्थापित करवाया जाय।
मीडिया न्यूज के मुताबिक हाईकोर्ट की डबल बेंच की अदालत ने ज्ञानपुर विधायक विजय मिश्र की निधि से सोलर वाटर पंप और हाईमास्क का टेंडर न होने पर नाराजगी जताई। सुनवाई के दौरान बृहस्पतिवार को जिलाधिकारी से तत्काल टेंडर कराकर जनहित में सोलर वाटर पंप लगाने का आदेश दिया। आगरा जेल में निरूद्ध ज्ञानपुर विधायक विजय मिश्र ने अपने अधिवक्ता लोकेश कुमार द्विवेदी के माध्यम से हाईकोर्ट में रिट दाखिल किया। जिसमें आरोप लगाया कि…..
“जेल में आने से पूर्व और आने के बाद ज्ञानपुर विधानसभा क्षेत्र में 63 सोलर वाटर पंप और हाईमास्क लाइट लगाने की स्वीकृति की थी। करीब एक साल तक कमीशनखोरी के चक्कर में उनकी निधि से काम ही नहीं कराया गया। अनशन की चेतावनी देने पर काम करने का प्रस्ताव तो तैयार किया गया, लेकिन अब तक टेंडर नहीं हो सका। जिससे अधिसूचना जारी होने से जनता को उनकी काम का लाभ नहीं मिल सकेगा।”