उत्तर प्रदेश सरकार के निशाने पर एक बार फिर पूर्वांचल के बाहूबली विधायक विजय मिश्र आ रहे हैं, जिससे सियासी समीकरण में गर्माहट देखने को मिल रही है. भले ही जिला पंचायत चुनाव के बाद कुछ नरमी के आसार लग रहे थे लेकिन अब लग रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव तक यह सियासी ‘लबेद’ कानूनी चक्रव्यूह के इर्द-गिर्द ही रहेगा।
मिडिया रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने कैबिनेट मंत्री नंदगोपाल गुप्ता नंदी पर दशक भर पहले रिमोट बम से हुए जानलेवा हमले के मामले में आरोपी ज्ञानपुर के विधायक विजय मिश्र की जमानत निरस्त करने के लिए अर्जी दाखिल की है. कोर्ट ने विधायक को नोटिस जारी करते हुए उनसे अर्जी पर जवाब मांगा है और सुनवाई के लिए 26 अगस्त की तारीख मुकर्रर की है.
यह आदेश न्यायमूर्ति ओमप्रकाश ने बृहस्पतिवार को अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और अपर शासकीय अधिवक्ता आशुतोष कुमार संड को सुनकर दिया है. जमानत निरस्त करने की अर्जी में कहा गया है कि 12 जुलाई 2010 को कैबिनेट मंत्री नंदगोपाल गुप्ता नंदी पर प्रयागराज के कोतवाली थानाक्षेत्र स्थित आवास के पास रिमोट बम से जानलेवा हमला किया गया था. हमले में पत्रकार विजय प्रताप सिंह व मंत्री के निजी गार्ड की जान चली गईं थी और मंत्री नंदी को गंभीर जानलेवा चोटें आई थीं. विधायक विजय मिश्र उस मामले में आरोपी है. उस मामले और गैंगस्टर एक्ट के मुकदमे में विजय मिश्र की हाईकोर्ट से जमानत मंजूर हुई थी। कहा गया है कि घटना के समय भी विधायक का कई मामलों का आपराधिक इतिहास था, जो अब भी है. जबकि जमानत मंजूर किए जाने के आदेश में किसी भी अपराध या आपराधिक घटना में शामिल नहीं होने की शर्त भी थी. कहा गया कि मंत्री पर रिमोट बम से हमले व गैंगस्टर एक्ट में जमानत मंजूर होने के बाद विधायक पर रेप जैसे गंभीर अपराध के मुकदमे दर्ज हुए हैं. ऐसी स्थिति में उनकी जमानत निरस्त की जाए।
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