देववाणी (संस्कृत) का चोला पहनकर भले ही हजारों-लाखों नजर आएं लेकिन इस ‘शास्त्रार्थ महारथी’ के सामने सब फीके पड़ते रहे हैं. संस्कृत के ‘विद्वान पंडित’ समझ गए होगें कि चर्चा संस्कृत ‘विद्वान शिरोमणि’ पं आद्या प्रसाद त्रिपाठी (बटर शास्त्री) की हो रही हैै. जो केंद्र-राज्य से सैकड़ों बार सम्मानित हो चुके हैं. फिलहाल भारत सरकार ने पुन: एक बार नया सम्मान देकर इनकी विद्वता का लोहा माना है….
खबर के मुताबिक देववाणी (संस्कृत) भाषा में अनुसंधान एवं उत्कृष्ट कार्य करने पर ‘मानव संसाधन विकास मंत्रालय’ भारत सरकार द्वारा सम्मान पत्र एवम् पुरस्कार राशि बैंक खाता में प्रेषित की गई. जगजाहिर है कि नव्य व्याकरण आचार्य एवं शोध विद्वान श्रीयुत आद्या प्रसाद ‘ब्रिटिश कालीन सरस्वती संस्कृत पाठशाला, रोही-भदोही के पूर्व प्रधानाचार्य पद से सेवानिवृत्त हैं. इतना ही नहीं बल्कि व्याकरण व कर्मकांड का प्रचार-प्रसार जनमानस में प्राचीन समय से करते आ रहे हैं. 92 वर्षीय आचार्यजी अपनी कुशल वाकपटुता, स्पष्ट वक्ता, शास्त्रार्थ विद्या में निपुणता हासिल किए हुए हैं, जिन्हें बड़े-बड़े संस्कृत विद्वान महारथी मानते हैं।
यहां के निवासी हैं वयोवृद्ध आचार्यजी – यूं तो सरयूपारीण ब्राम्हण बतौर गोरखपुर से पुश्तैनी काशी-प्रयाग_मध्य में आकर बसे हैं लेकिन विद्वता बतौर सोहगौरा नगर (अकोढ़ा-रोही, भदोही) घराना के पंडित-आचार्य उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में बतौर गुरू चर्चित हैंं।
आशिर्वाद लेने पहुंच रहे दिग्गज – वयोवृद्ध विद्वान शिरोमणि आचाार्य पंं. आद्या प्रसाद त्रिपाठी को भारत सरकार द्वारा जैसे ही आजीवन मासिक पेंशन व पुरस्कार की राशि प्राप्त हुई, वैसे ही उनके शिष्यगण डॉ राम रक्षा त्रिपाठी (पूर्व विभागाध्यक्ष केन्द्रीय उच्च तीव्व्ती शिक्षा संस्थान सारनाथ), श्रीयुत चंद्रिका प्रसाद त्रिपाठी (पूर्व जिलाधिकारी मथुरा), डॉ हरिओम त्रिपाठी ‘प्रवक्ता’, डॉ गणेश दत्त शुक्ल ‘प्राचार्य’, डॉ छोटे लाल पांडेय (मर्रो) व राजेशधर द्विवेदी (पूर्व डीसीओ) ने जहां बधाँई दी, वही समस्त शिष्यगणों, यजमानों सहित क्षेत्रवाासी बधाईयाँ देनेे पहुंच रहे हैं. इस दौरान सैकड़ों दिग्गज राजनेता, समाजसेवी, शिक्षाविद् भी बधाई देकर आशिर्वाद लेनेे पहुंचे नजर आए।
यहां होगा हर्ष समारोह – ब्रिटिशकालीन सरस्वती संस्कृत पाठशाला व आचार्य सरयू प्रसाद त्रिपाठी इंटरमीडिएट कॉलेज अकोढ़ा-रोही परिवार में अपार हर्ष है. वर्तमान प्रबंधक रमेश त्रिपाठी (बेश) ने जानकारी देतेे हुए बताया है कि पुरस्कार व सम्मान राशि तथा पेंशन भारत सरकार द्वारा वर्ष 2020 में उत्तर प्रदेश से मात्र दो संस्कृत के विद्वानों को प्रदान किया गया है, जिसमें जिला मजिस्ट्रेट की अनुशंसा पर जनपद के केवल दो विद्वान श्रीयुत आद्या प्रसाद त्रिपाठी (बटर शास्त्री) तथा पंडित गुलाब शंकर दुबे (निवासी समाधा औराई) का नाम सर्वोच्च सम्मानित रहा. ब्रिटिशकालिन सरस्वती संस्कृत पाठशाला प्रांगण में जल्द ही हर्ष समारोह आयोजित किया जाएगा।
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