लक्ष्य न ओझल होने पाये, कदम मिलाकर चल।
सफलता तेरे कदम चूमेगी, आज नही तो कल।।
भदोही जनपद का एक ऐसा युवा जो एक चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) बनकर ढे़र सारा पैसा और नाम कमाना चाहता था लेकिन कम अंक होने से उसका सपना अधूरा रह गया. इसी बीच घर के जिम्मेदारियों का बोझ इतना बढ़ गया कि अब सब कुछ छोड़कर केवल परिवार की आर्थिक स्थिति को संभालने के लिए नौकरी करना प्रारम्भ कर दिया. इसी बीच पिता के निधन से पारिवारिक और सामाजिक जिम्मेदारी का बोझ और बढ़ गया, फिर भी इस युवा ने हार न मानी. और लगातर अपने परिवार को अपनी मेहनत और लगन से संभाला, जिसके बाद अब सफलता के सम्मान से मुंबई (मायानगरी) से भदोही तक के अखबारों में प्रोत्साहन गौरव सुर्खियों में आकर हांसिल करता रहता है..✍️
गौरतलब है कि भदोही का यह युवा अपने मन में दबे एक सपने को पूरा करने के लिए फिर मुम्बई (मायानगरी) की तरफ रूख किया. यह फैसला उस शख्स के लिए काफी सहायक साबित हुआ और मात्र पांच छः वर्ष की कठीन मेहनत की बदौलत एक नया मुकाम हासिल किया और वह सीए प्रोफेशन नही बल्कि फिल्मी दुनिया में है, जहां पर इस युवा ने मात्र कुछ ही वर्षों में अपनी अलग पहचान बनाई. शायद आप समझ गए होगें कि हम बात कर रहे है भदोही जिले के औराई क्षेत्रांतर्गत विक्रमपुर निवासी प्रदीप दूबे का. जिनका मन बचपन से ही फिल्मी चकाचौंध से प्रभावित था और एक अच्छा अभिनेता बनना चाहते थे लेकिन इसी बीच पढ़ाई और परिवार के हिसाब से मिर्जापुर के जीडी बिन्नानी महाविद्यालय से वाणिज्य में स्नातक करके सीए बनने की लालसा भी जगी और मुंबई गये लेकिन अंक कम होने से यह इच्छा पूरी न हो सकी लेकिन प्रदीप ने हार न मानी।
प्रदीप दूबे को शुरूआत के दिनों में तो किसी फिल्म या सीरियल में काम करने का मौका नही मिला लेकिन अपनी लगन से छोटे रोल में मौका मिलने लगा। आज वो करीबन दो दर्जन के आसपास टीवी शो, वेब सीरीज और फिल्मों में काम किए, जिसमें अभय-2, स्टेट ऑफ सीज 26/11 कबूतरी, लूडो, न्याय-द जस्टिस और भोजपुरी फिल्म प्रतिशोध शामिल है। इसके अलावा प्रदीप ने रंजू की बेटियां, छोटी सरदारनी, बैरिस्टर बाबू, मेरे साई, मैडम सर, मुस्कान, अशोका, दीया और बाती हम, तेनालीराम, चन्द्रकांता और अलादीन के अलावा सावधान इंडिया समेत कई सीरियल में काम कर चुके है। प्रदीप दूबे का मानना है कि दुनिया में कुछ भी पाना असंभव नही है…केवल सच्चे मन से ठानने की जरूरत है।
महराजगंज विक्रमपुर निवासी प्रदीप दूबे के मेहनत और लगन ने उन्हें केवल भदोही ही नही अपितु पूरे देश में एक नई पहचान दिलाई। जो युवाओं और उन लोगो के लिए प्रेरणास्रोत है जो अपनी जिंदगी की समस्या और जिम्मेदारियों से हार मानने लगते है। जिंदगी में हार मानने वाला हार जाता है और ठानने वाला जीतता है। इसीलिए जिंदगी में आने वाली दिक्कत और परेशानी से हारना नही चाहिए बल्कि डटकर मुकाबला करना चाहिए और अपने लक्ष्य से अपनी निगाह को नही हटाना चाहिए। सफलता तो एक दिन खुद चलकर आयेगी, जिसका दुनिया में कई लोग उदाहरण है। इसलिए अपने मन में कभी भी हार स्वीकार करने की जगह नही देनी चाहिए।