यूपी में पंचायत चुनाव से पहले ही विभिन्न जिलों में शतरंज की बिसात जब बिछाई गई, तब जनता-जनार्दन का ख्याल किसी को नहीं था. अब तो कोरोना की बढ़ती त्रासदी में सिर्फ हाय-तौबा चहूंओर है. कुछ ऐसे ही हालात में भदोही जनपद अंतर्गत ज्ञानपुर है, जहां जनता दर्द बयां करते हुए खुद को बेसहारा महसूस कर रही है..✍️
गौरतलब है कि भदोही जनपद में भी जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी हथियानें के चक्कर प्रतिद्वंदियों ने सियासत का ऐसा खेल खेला कि बाहूबली और जनबली कहे जाने वाले ज्ञानपुरिया विधायक विजय मिश्र सलाखों में कैद हो गए. फिर भी प्रतिद्वंद्वी पत्ते पर पत्ते खेलते गए और सत्ता-शासन की भूमिका को भी एकपक्षीय खड़ा कर दिया. रिश्तेदार के जमीन विवाद आरोप से शुरू हुआ खेल, मानिए चकरघिन्नी की तरह विधायक विजय मिश्र के इर्द-गिर्द भटकता रहा. धीरे-धीरे कई नये मुकदमों के चक्रव्यूह का दौर चलता रहा, सरकार का बूलडोजर भी मकान-दुकान पर चलता रहा लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में अब ज्ञानपुरिया दर्द सुनने वाला कोई नजर नहीं आ रहा है. ‘दवाई और पढ़ाई’ पर विधायक नीधि के साथ नीजी कोष से भी धन फूंकने के कारण विधायक विजय मिश्र जनता के करीब रहे क्योंकि इससे पूर्व के कार्याकालों में जनसुविधा के कई विकासकार्यों की सफलता भी उन्हीं के नाम रही है. अब जबकि कोरोना की दूसरी लहर से भदोही जनपद भी चपेट में है, तो अस्पताल में सुविधा, दवाई-इंजेक्शन के लिए अन्य जनप्रतिनिधि सोशल मीडिया पर चांव-चांव कर रहे हैं. हालांकि जनस्वास्थ्य के लिए सत्ता-शासन को झकझोरने वाला कोई नहीं क्योंकि यह काम तो सिर्फ जनबल के साथ विधायक विजय मिश्र के खाते में रहा है. फिलहाल अधिकांश ज्ञानपुरिया जनता को कोई कितना भी पाठ पढ़ा दे लेकिन वो बिचारे यही मानते हैं कि जिला पंचायत की सियासी गद्दी के खेल में उनके विधायक को कैद रखा गया है और ज्ञानपुरिया दर्द सुनने के लिए विधायक की गैरमौजूदगी में ना कोई नेता हमदर्द है और नाही सत्ता-शासन।
दबंग ग्राम प्रधान, मौन शासनिक एक्शन, फिर ऐसे चहँके विधायक
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