• गेहूँ-चावल बांट चुके हैं, अबकी बंटता आलू
  • सियासी जंगमय देखो, ब्राम्हण बहूतई चालू
  • ब्राम्हण बहूतई चालू, प्रधानी पर दांव लगाएं
  • ‘दरीना’ को ‘कुटनीति’ से, अपसई में लड़ाएं
  • कहे ‘बहूरूपीय’ मौन, चप्प रहिए ‘सब’ केहूँ
  • आलूदम खाते रहिए, जल्द बंटे चावल-गेहूँ

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