उत्तर प्रदेश की सियासत हमेशा ही हिचकोले खाती रही है. यहां भ्रष्टाचार की बोलती तूती ने जनमानस को बेहाल कर रखा है. सत्ता-सरकारें तो बदलती रहती है लेकिन स्वार्थवादी नेता नहीं बदलते हैं, जोकि पार्टी में रहकर ही उसका सुपड़ा साफ कर देते हैं. ऐसा ही कुछ नजारा इन दिनों भदोही जनपद की सियासत में देखने को मिल रहा है।
जगजाहिर है कि भदोही जनपद में जनसंघी व कट्टर भाजपाईयों की संख्या बहुत ज्यादा है, यहां मोदी लहर के पहले भी दो-चार बार अटलवादी भाजपाईयों को क्षेत्रीय जनता ने मौका देकर विधायक बनाया था. कुछ हद तक उस दौरान भाजपाई विचारधारा से जनता में खुशियां थी लेकिन राज्य में भाजपा सरकार ना होने से विधायकगण कोई विशेष जादूई विकास नहीं कर पाए थे. यह अलग बात थी कि भ्रष्टाचार में लिप्त ना होने के कारण उनकी जनवादी पारदर्शिता ने छवि को अब तक निखारे रखा है। कुछ ही कट्टर विचारधारी बचे हैं और नहीं तो शुरूआती दौर के कई नेता बसपाई घाट का पानी पीते हुए भाजपाई जनाधार व ब्राम्हण चोले से विधायक-मंत्री बने, जिसके बाद भाजपाई कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों का जनाधार तो छला ही गया लेकिन भिड़ंत विकास की गंगा बहाने के बजाय आपसी वर्चस्व की रही. राकेशधर त्रिपाठी हों या रंगनाथ मिश्रा या भाजपा के कद्दावर रहे गोरखनाथ पांडेय…सबने भाजपा को ठेंगा दिखाकर बसपा से विधायक-सांसद बनकर भदोही जनपद विकास का सिर्फ कोपभाजन ही नहीं किया बल्कि पार्टीवाद की सरकार का सियासत में उभरते विजय मिश्रा पर जोरदार अजमाइश भी की. बसपाकाल में उपरोक्त सत्ताधारी नेताओं ने संविधानिक पद का इतना दुरूपयोग किया कि इन्हीं से जंग लड़ते-लड़ते कल का एक अदना सा ब्लाक प्रमुख व विधायक….बाहुबली विजय मिश्रा कहा जाने लगा.
बसपा सुशासन की आड़ में इन्हीं नेताओं ने जब-जब कानूनी हथकंडे से न्यायालय भूलकर खाकी वर्दीधारियों को हथियार बनाकर विधायक विजय मिश्रा को सलाखों में कैद करवाया या करवाने का प्रयास किया, तब-तब पुर्वांचल के ब्राम्हणों को विजय मिश्रा में ब्राम्हण शिरोमणि नजर आया. भदोही जनपद के आसपास की सीटों पर धीरे-धीरे विजय मिश्रा के जनाधार की तूती बोलने लगी. ध्यान देने योग्य बात यह है कि समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह के इशारे पर सियासत में जमीनी जनाधार खड़ा करने वाले इस विधायक ने ब्राम्हण के हितों के लिए ही नहीं बल्कि जनहित में जो भी पीड़ित दरबार पहुंचा…उसे न्याय दिलवाने में कामयाबी हासिल करने का प्रयास किया. जनता का अटूट भरोसा ही है कि राजनैतिक प्रतिद्वंद्वियों के सामनें यह लड़ाका मजबूती से खड़ा रहता है. फिलहाल पूर्व मंत्री राकेशधर त्रिपाठी, पूर्व बसपाई गोरखनाथ पांडेय से जहां पुर्वाग्रही पारिवारिक जंग रही है, वहीं भ्रष्टाचार के मामले में जेल तक पहुंचे पूर्व बसपा मंत्री रंगनाथ मिश्रा अभी लेटेस्ट में सांसदी हार चुके हैं। यही वो राजनेता हैं जिन्होंने भदोही से ही नहीं बल्कि पुर्वांचल की कई सीटों से नीजी स्वार्थ की जंग में विजय मिश्रा के जनाधार से उलझकर बसपा का सफाया करवा दिये। जारी….

सियासत भाग (०२) में – ‘दिग्गज बसपाइयों‘ का ‘भाजपाई मोहरा‘, सरकार ‘समर्थकों’ पर ही ‘अक्रामक’.?