देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में बढ़ते कोरोना संक्रमण पर काबू पानी के लोकल ट्रेन सहित आटो-टैक्सी भी सिर्फ अति आवश्यक सेवाओं के लिए ही उपलब्ध है या यूं कहें कि आम जनमानस के लिए बंद है। इतना ही नहीं बल्कि राज्य सरकार द्वारा ‘मिशन बिगन अगेन’ की शुरुआत पिछले सप्ताहों में करने के बाद कई शहरों में अचानक संक्रमितों की संख्या में तैजी देखी गई, जिसके बाद पुणे, कल्याण-डोम्बिवली जैसे कई शहरों में स्थानीय में पुर्णतः लाॅकडाऊन जारी किया गया है। फिलहाल इसी बीच नया संकट यह मंडरा रहा है कि कई राज्यों के लिए मेल-एक्सप्रेस शुरू है, जिससे कर्मभूमि छोड़ जन्मभूमि गए प्रवासी वहां रोजगार ना होने के कारण मजबूरन लौटने लगे हैं. यूपी-बिहार से खॅचाखच भरकर ट्रेन मुंबई आ रही है, जिसमें बिना जांच कोरोना संक्रमित भी लौट रहे हैं। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण समक्ष आया है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के भदोही जनपद में मुंबई से गए एक युवक की रिपोर्ट सोमवार को कोरोना पॉजिटिव आई। शाम को जब स्वास्थ्य विभाग की टीम एंबुलेंस लेकर उसे आइसोलेट के लिए पहुंची तो घर पर नहीं मिला, जिससे टीम परेशान हो गई। काफी प्रयास के बाद भी पता नहीं चलने पर वापस चले आए। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सुरियावां ब्लॉक क्षेत्र के बरमोहनी गांव निवासी युवक परिवार के आठ सदस्यों के साथ सात जुलाई को मुंबई से घर आए थे। चिकित्सकों की सलाह पर सभी ने 10 जुलाई को स्वैब देकर कोरोना जांच कराई थी। 11 जुलाई को वापसी का टिकट होने से वह मुंबई चला गया। सोमवार को उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो जानकारी होने पर परिजनों में हलचल मच गई। इस बाबत जब मोबाइल से संपर्क किया गया तो उसके भाई ने बताया कि वह वहां पर दवाओं को सेल्स मैन का कार्य करते हैं। परिवार के साथ घर आए थे। वापसी का टिकट होने की वजह से जांच के बाद मुंबई चले गए। उधर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी युवक को आइसोलेट करने के बारे में कुछ भी बताने से कतरा रहे हैं।
मंडरा रहा है संकट – यूपी के भदोही जिले से मिली खबर मात्र एक बानगी है क्योंकि हजारों की संख्या मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों से मुंबई में कार्यरत व प्रवासी लौट रहे हैं क्योंकि यूपी-बिहार में रोजगार का लाॅलीपाप सिर्फ भाषणबाजी तक रह गया है। फिलहाल ऐसे ही यदि हजारों में सैकड़ों प्रवासी संक्रमण लेकर बिना जांच आते रहें, तो कोरोना का मुंबई पर कई महीनों तक गहराता रहेगा।
