उत्तर प्रदेश के भदोही जनपद में भले ही दर्जनों सरकारी अस्पताल व पचासा स्वास्थ्य केन्द्र मरीजों का इलाज करने में फेल होकर रेफर पर आश्रित हों जाय लेकिन झोलाछाप डाक्टर बड़ी-बड़ी मर्ज का इलाज डंके की चोट पर करते हैं। सावन महीनें में विभिन्न संक्रमित बिमारियां व सर्पदंश के मामले बढ़ रहे हैं तो पशु चिकित्सक भी अपना करतब दिखा रहे हैं। ऐसी ही तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत कर रहे हैं..भदोही जनपद से अंकित पांडेय..✍️

सरकार भले ही लोगों के स्वास्थ्य को मद्देनजर रखकर विभिन्न तरह की योजनाएं संचालित कर रही है और जगह-जगह पर बने हाॅस्पिटल और स्वास्थ्य केन्द्र की इलाज गुणवत्ता दुरूस्त करने में जुटी है। फिर भी स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही कहें या पुलिस प्रशासन की नाकामी लेकिन जिले में झोलाछाप डाक्टरों और नीम-हकीमों की भरमार है। मानों ऐसा लगता है कि झोलाछाप और नीम-हकीम अनुभवी चिकित्सकों से ज्यादा प्रभावशाली है। इन पर जिले का स्वास्थ्य महकमा भी फिदा है, जबकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को ज्ञात है कि इन्हीं झोलाछाप डाक्टरों और नीम-हकीमों की वजह से जब मरीजों की जिंदगी दांव पर लग जाती है, तब उन्हें आखिरी स्टेज पर सरकारी अस्पताल भेज दिया जाता है। ऐसी स्थिति में मरीजों की मौत या रेफर का खामियाजा स्वास्थ्य विभाग को भुगतना पड़ता है। जिले  के जिम्मेंदार शाससनिक-प्रशासनिक अधिकारी आखिरकार इस स्वास्थय से जुड़े मार्मिक मुद्दे पर मौन क्यों रहते हैं या स्वप्रेरित संज्ञान क्यों नहीं लेतेे.. यह जनपद केे विभिन्न क्षेत्र में चर्चा का विषय बना रहता है।

गौरतलब है कि गोपीगंज थाना के क्षेत्र में इब्राहिमपुर गांव है. जहां चेतनंद नामक एक तथाकथित पशु डाक्टर है, जो सांप काटनें पर लोगों का बतौर नीम-हकीम इलाज करता है। ग्रामवासी बताते हैं कि मामला गंभीर होने के बाद रोगी को अन्यत्र ले जाने की बात करके बाहर भेज देता है। शनिवार को भी कुछ ऐसा ही हुआ.. कोईरौना क्षेत्र के इनारगांव (सोनपुर) निवासी ओमप्रकाश यादव की पत्नी सुनीता देवी को दोपहर में सांप ने कांट लिया। उसे परिवार के सदस्य व कुछ करीबी तथाकथित पशु डाक्टर चेतनंद के पास लेकर आये, जहां पर चेतनंद ने सुनीता को तरह-तरह की दवा दी लेकिन कोई सुधार नही हुआ। अंतत: हालत बिगड़ते देख चेतनंद ने सुनीता के परिजनों से हास्पिटल ले जाने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया। लाचार व विवश परिजन सुनीता को लेकर आनन-फानन में हास्पिटल गये। अब यहां सवाल पैदा होता हैै कि किसके आदेश या सहमति पर चेतनंद लोगों का सांप काटने पर इलाज करता है। सुनीता को इलाज के नाम पर चेतनंद ने अपने यहां रोककर जो देरी की, कोई घटना हो जाने पर कौन होगा जिम्मेदार.? अब सवाल यह भी पैदा होता है कि क्या सांप काटने से जुड़ा रहस्ययी कोई इलाज या उसके पास कोई डिग्री है.? या फिर यूं ही मनमानी लोगों की जान को जोखिम में डालकर स्वयं को जिला अस्पताल तक के अनुभवी डाक्टरों से भी ज्यादा जानकार सिद्ध करना चाहता है.? चेतनंद क्षेत्र में पशु चिकित्सक के रूप में जाना जाता है और सांप काटने पर लोगों का इलाज करने का दावा करता है। चेतनंद के पास सच में पशु चिकित्सा की भी डिग्री है या नहीं.? यह तो जिला शासनिक-प्रशासनिक अधिकारियों के स्वप्रेरित संज्ञान लेकर जांच करवाने विषय है लेकिन यदि स्वास्थ्य विभाग जनपद में फैले ऐसे सैकड़ों झोलाछाप डाक्टरों व नीम-हकीमों पर मौन रहा तो भविष्य में किसी बड़ी घटना के बाद जागना तो पड़ेगा ही। फिलहाल यदि अभी समय से स्वास्थ्य विभाग जाग जाय तो झोलाछाप डाक्टरों के चक्कर में उलझकर मरीज आखिरी स्टेज पर सरकारी अस्पताल ना पहुंचे बल्कि समयानुसार इलाज हो और रेफरमौत से लग रहे कलंक से भी जनपद को मुक्ति मिले।

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