प्रयागराज की ओर से चले कावरियों को ‘काशी विश्वनाथ बाबा’ के धाम पहुंचने से पहले काशी-प्रयाग मध्य में आश्रय लेना पड़ता रहा है, जो देते रहे हैं ‘बाबा पाडंवानाथ नाथ’ लेेकिन अबकी यहांं ऐतिहासिक ‘बोल बम’ नहीं गूंजेगा।
गौरतलब है कि ‘काशी-प्रयाग मध्य’ में राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित चकपडौना में एक ‘पांडव कालीन’ प्राचीन शिव मंदिर जिसे लोग बाबा पांडवानाथ के नाम से जानते हैं। इस प्राचीन मंदिर का महात्म्य काफी पुराना है। इस मंदिर पर दर्शन व पूजन करने के लिए देश के कई राज्यों से लोग आते हैं। अन्य दिनों में तो भक्तों की भीड़ रहती है लेकिन हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के दिन यहां पर ऐतिहासिक भीड़ ऐसे लोगो की लगती है जो दमा, सांस के रोगी है। पूर्णिमा के दिन देश भर से आये रोगियों को नि:शुल्क दवा पिलाई जाती है। मान्यता है कि यहां से दवा पीने के बाद लोगों का रोग ठीक हो जाता है। मंदिर के नाम से हर वर्ष श्रावण माह में कांवरियों के लिए नि:शुल्क भोजन इत्यादि की व्यवस्था भी की जाती है। लेकिन इस वर्ष कोरोना की वजह से इस शिविर को आयोजित नही किया गया है। बाबा पांडवानाथ का दर्शन पूजन करने वालों की सभी मनोकामना पूर्ण होती है। इस समय श्रावण माह में स्थानीय भक्तों को दर्शन पूजन करते देखा जा रहा है। हालांकि बाहर के भक्त इस समय कोरोना की वजह से नही आ रहे हैं।
सेवाभावी आयोजन में प्रत्येक वर्ष सावन माह में ‘बाबा पांडवा नाथ कांवरिया सेवा समिति कौलापुर’ द्वारा कांवरियों के लिए निशुल्क जलपान, भोजन, दवा की सुविधा प्रदान की जाती थी, जहां सात दिवसीय निशुल्क शिविर लगाकर कावरियों को सेवा दी जाती थी। फिलहाल इस वर्ष कोरोना महामारी को देखते हुए समिति ने भी कावरियों से निवेदन किया कि आप समस्त ग्राम वासियों व प्रशासनिक अधिकारियों का कहना मानें और इस बार बाबा धाम जलाभिषेक करने जाने के बजाय, उन्हें अपने घर से ही याद करके जलाभिषेक अर्पित करने के साथ कोरोना संकट से मुक्ति की मनोकामना करें।
