दिल को खटके,
                       जरा हटके…
                💞💞💞💞💞

सत्ताधारी बन दंभ में, जिसने किया अन्याय
सत्य मानिए फिर उसे, कुर्सी ना मिली भाय
कुर्सी ना मिली भाय, जनता ने सदैव हराया
आहह कैद मतपेटी, सिंहासन हाथ न आया
कहे ‘बहुरूपीय’ मौन, सत्यार्थ करिए तैयारी
पाप ‘प्रायश्चित’ कीजै, सत्यपथ से सत्ताधारी

एस. टी. ‘बहुरूपीय’ (९३२४००६२६९) आपका व्यंग्यकार, आपकी आवाज..

(स्तंभ वर्ष – १२) – ’जन्मभूमि’ की ‘मिट्टी’ का ‘तिलक’ लगाता हूँ, हाँ…’झूट्ठों की नगरी’ में भी ‘सत्य नारायण’ कथा ‘सुनाता’ हूँ.!