यहां खुली ‘मौत के सौदागरों’ की ‘पोल’, सरकारी दवाईयां व इलाज सामग्री में, लाखों-करोड़ों की घपलेबाजी… उत्तर प्रदेश के भदोही जनपद में 12 वर्षों से निर्माणाधीन खंडहर ‘१०० शैय्या संयुक्त चिकित्सालय’ के ९ करोड़ी भ्रष्टाचारियों को सलाखों तक पहुंचाकर स्वास्थ्य सेवा दुरूस्त करवाने के लिए जन आंदोलन चल रहा है। इसी बीच दो दर्जन से ज्यादा स्वास्थ्य केन्द्र होने के बाद भी तड़पते मरीजों की ‘रेफरमौत’ के पीछे का कड़वा सच सामनें आ चुका है। लाखों-करोड़ों की दवाईयां व इलाज सामग्री यहां वर्षभर में ‘घपलेबाजी’ की भेंट चढ़ जाती हैं, ऐसी आशंका बनी हुई है..मरीजों को मौत के घाट तक पहुंचाने में सरकारी स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की भूमिका को भी नकारा नहीं जा सकता है। जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘योगीराज’ में ‘जीरो टोलरेंस’ का नारा है, वहीं उच्च शासनिक-प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता से सफेदपोश भ्रष्टाचारियों के गिरेबां तक सशक्त कार्यवाही नहीं पहुंच पा रही है. आखिरकार इस मुद्दे पर ‘भदोहीवीर’ मौन क्यों हो जाते हैं..✍️
भदोही जनपद के दवा स्टोर इंचार्ज और फार्मासिस्ट के घर से लाखों की दवा बरामदगी ने हिलोर मचा मचा दिया है, जिसके बाद से सोशल मीडिया पर चौतरफा इन्हें मौत का सौदागर बताकर भदोहीवासी स्वास्थ्य व्यवस्था पर चिंता जता रहे हैं। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक भदोही जिले के ज्ञानपुर कोतवाली अंतर्गत महेंद्र कटरा स्थित सीएमओ कार्यालय के दवा स्टोर इंचार्ज और फार्मासिस्ट के घर से शुक्रवार को लाखों की सरकारी दवाएं बरामद हुईं। इससे प्रशासनिक अमले में खलबली मच गई है। स्वास्थ्य-सुविधाओं को लेकर सरकार भले गंभीर है, लेकिन भ्रष्टाचार के कारण जरूरतमंदों तक लाभ नहीं पहुंच पाता। शासन से आने वाली कल्याणकारी दवाएं सीएमओ कार्यालय स्थित दवा स्टोर में रखी जाती है। वहां पर स्टोर इंचार्ज की जिम्मेदारी फार्मासिस्ट आलोक पांडेय को दी गई है। स्टोर में दवा रखने की बजाए काफी मात्रा में सरकारी दवाएं स्टोर इंचार्ज अपने महेंद्र कटरा स्थित किराए के दो कमरों में रखवाता था। माह भर पूर्व स्वास्थ्य महकमें को दवा स्टोर में गड़बड़ी की भनक लगी तो आरोपी स्टोर इंचार्ज पर कई धाराओं में मुकदमा भी दर्ज कराया गया।
बताया जा रहा है कि बृहस्पतिवार शाम तक दवाओं को स्टोर में भिजवाने का दबाव बनाया गया, लेकिन वह नहीं माना। शुक्रवार को कोतवाली पुलिस के सहयोग से उसके आवास से भारी मात्रा में दवाएं बरामद की गई। इसमें कोविड-19 से जुड़े पीपीई किट, मास्क भी शामिल हैं। मौके पर पहुंचे अपर एसडीएम ज्ञान प्रकाश यादव ने दवाओं को सीएमओ की अभिरक्षा में सौंप दिया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. लक्ष्मी सिंह ने कहा कि बिना लिखा पढ़ी के स्टोर से अलग दवाएं रखना गलत है। मामले में आरोपी स्टोर इंचार्ज पर केस दर्ज किया गया है। उच्चाधिकारियों के निर्देश पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों की मानें तो स्टोर इंचार्ज के आवास से करीब 50 लाख से ज्यादा की दवाएं बरामद की गईं। दूसरी तरफ जगजाहिर चर्चा है कि जनपद के विभिन्न गांवों तक सरकारी दवाइयां बिककर पहुंचती हैं। ऐसी हालत में सरकारी दवाओं की बरामदगी ने विभागीय कार्यप्रणाली पर ही सवाल खड़ कर दिए हैं। आए दिनों जिला अस्पताल से लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में दवाओं की कमी का हवाला चिकित्सक, कर्मचारी देते हैं, जिससे सरकारी की स्वास्थ्य चिंता मुहिम पर सवाल उठता है। फिलहाल इस घटना के बाद भले ही स्वास्थ्य विभाग के कुछ अधिकारी इस मामले को दबाने की कोशिश करें लेकिन यदि सशक्त जांच हुई तो विभाग के कुछ फार्मासिस्ट ही नहीं बल्कि जिले के कई अस्पताल सहित मेडिकल संचालक व रैकेट के आकाओं का पर्दाफाश हो सकता है।
