यूपी-बिहार सहित अन्य राज्यों के श्रमिक व परदेशी ट्रेन बैठकर निशुल्क गांव तो पहुंच गये लेकिन भाजपानीत केन्द्र सरकार के अजूबे को देखकर अब उत्तर भारतीय शर्मसार हो रहे हैं। मुख्यतः जिस महाराष्ट्र सरकार को भाजपा प्रेरित उत्तर भारतीय नेता श्रमिक-मजदूर विरोधी बता रहे थे, उसी ने ९७ करोड़ से ज्यादा श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का किराया भरा है।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शुरूआती दौर से उन श्रमिकों के लिए ट्रेन की मांग केंद्र सरकार से की थी, जो लाँकडाऊन के बाद मुंबई में रहने को तैयार नहीं थे। इतना ही नहीं बल्कि आश्वासन भी दिया था कि सभी श्रमिकों को ट्रेन की व्यवस्था होते ही निशुल्क उनके गांव तक पहुंचाया जायेगा। फिर इसके बाद सियासत का पारा चढ़ता रहा क्योंकि श्रमिक स्पेशल ट्रेन का किराया महाराष्ट्र सरकार भरती रही और उसी ट्रेन में परदेसियों को स्थानीय उत्तर भारतीय नेता बैठाकर ‘जय भाजपा, तय भाजपा’ करते रहे। फिलहाल केंद्र सरकार द्वारा महाराष्ट्र सरकार की मदद नहीं करने की खबरें सामने आते ही ‘उत्तर भारतीय’ भी स्वयं को शर्मसार महसूस कर रहे हैं क्योंकि महाराष्ट्र सरकार ने मुख्यमंत्री सहायता कोष से खर्च को पारदर्शी डगर पर जगजाहिर कर दिया है। इसमें स्पष्ट नजर आ रहा है कि सर्वाधिक खर्च श्रमिक स्पेशल ट्रेनों पर किया गया है।
मुख्यमंत्री सहायता निधि से अब तक ३६१ करोड़ ३२ लाख ५७ हजार ५९९ रुपये जमा हुए है। अब तक १२३ करोड़ ३९ लाख १२ हजार ४१० रुपये कोरोना के संबंध में विभिन्न कारणों के लिए खर्च किये गए है। अब तक १ लाख २९ हजार दानदाताओं निधि दी है। संभाजीनगर के पास रेलवे दुर्घटना में मजदूरों के परिवार वालों को ८० लाख, सेंट जॉर्ज अस्पताल के लिए २० करोड़, जिसमे ३ करोड़ ८२ लाख ५० हजार रुपये कोविड जांच के लिए, उत्तर भारतीय श्रमिक के रेलवे टिकट पर खर्च ९७ करोड़ ६९ लाख ५५ हजार ४९० रुपये और रत्नागिरी स्थिति प्रयोगशाला के लिए १ करोड़ ७ लाख ६ हजार ९२० रुपए की निधि दी गई है।