राज्य सरकार ने लॉकडाउन के दौरान कोरोना महामारी से बचाव के लिए आम जनता पर प्रतिबंध और नियम लागू किए थे। अंतराल में सरकार ने लॉकडाउन के प्रतिबंधों, नियमों और शर्तों में ढील दी ताकि जनता को अपने दैनिक जीवन को फिर से शुरू करने में मदद मिल सके लेकिन पिछले दो दिनों से सोशल मीडिया पर कुछ संदेश और पोस्ट घूम रहे हैं कि लोग सामाजिक दूरी का पालन नहीं कर रहे हैं। लोगों की भीड़ जमा हो रही है। इसलिए राज्य सरकार ने लॉकडाउन के सभी शर्तों, नियमों और प्रतिबंधों को फिर से सख्ती से लागू करने का फैसला किया है। सरकार ने ऐसी खबरों को भ्रामक बताया है। वहीं महाराष्ट्र साइबर विभाग का कहना है कि राज्य में लॉकडाउन के दौरान कुछ अपराधी और उपद्रवी प्रवृति के लोग सामाजिक वातावरण बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। साइबर विभाग द्वारा ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। राज्य में ऐसे लोगों के खिलाफ कुल 473 साइबर से संबंधित मामले दर्ज किए गए हैं और 256 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
सायबर सेल के अनुसार 194 मामले आपत्तिजनक व्हॉट्सएप संदेशों को अग्रेषित करने के, 193 मामले आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट साझा करने के, 24 मामले टीकटॉक वीडियो साझा करने के, आपत्तिजनक ट्वीट्स के 8 मामले, इंस्टाग्राम पर गलत पोस्ट करने के 4 मामले, जबकि अन्य सोशल मीडिया (ऑडियो क्लिप, यूट्यूब) के दुरुपयोग के 50 मामले सामने आए हैं। इनमें से 107 आपत्तिजनक पोस्ट हटा दी गई है। साइबर विभाग ने सोशल मीडिया पर घूम रहे लॉकडाउन के नियमों को फिर से कठोर बनाने के संदेशों को अफवाह करार दिया है। संदेश घूम रहे हैं कि महाराष्ट्र सरकार ने लॉकडाउन के नियमों में ढील दी थी, लेकिन लोगों द्वारा सोशल डिस्टेंसिनग का पालन नहीं किया जा रहा है। लिहाजा राज्य सरकार ने फिर से लॉकडाउन को कठोर करने का फैसला लिया है। साइबर विभाग की ओर से कहा गया है कि इस तरह के संदेशों पर विश्वास ना करें।
महाराष्ट्र साइबर ने सभी नागरिकों से अनुरोध किया है कि ऐसे किसी भी संदेश और पोस्ट पर विश्वास न करें और नाही उसे साझा करें। केंद्र और राज्य सरकार कोरोना महामारी से संबंधित किसी भी जानकारी के बारे में नागरिकों को नियमित जानकारी प्रदान करती है। यदि आप एक व्हाट्सएप ग्रुप एडमिन या एक ग्रुप क्रिएटर हैं और कोई व्यक्ति उस ग्रुप को ऐसा मैसेज भेज रहा है तो आपको उस ग्रुप मेंबर को ग्रुप से कुछ समय के लिए तुरंत हटा देना चाहिए या ग्रुप सेटिंग्स को केवल एडिम्स में बदलना चाहिए। याद रखें कि इस तरह से अफवाहें फैलाना न केवल कानूनी अपराध है, बल्कि एक सामाजिक अपराध भी है।
