दिल को खटके,
जरा हटके…
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दीजिये झोला भरिके, चावल-सब्जी आटा
ग्राहक देवता’ नाराज, भूज रहें सिर्फ भाटा
भूज रहें सिर्फ भाटा, ब्रांड’ आपका हैं पीते
करोड़पति आप ना होते, यदि सब यूं जीते
कहे ‘बहुरुपीय’ मौन, प्रचार हमेशा पीजिये
मंगरूलाल कह रहे, दो-चार पैकेट दीजिये
एस. टी. ‘बहुरूपीय’ (९३२४००६२६९) आपका व्यंग्यकार,आपकी आवाज.
(स्तंभ वर्ष – १२) – पुस्तक प्रकाशन हेतु स्तंभ को ‘सशक्त समाज’ न्यूज नेटवर्क पर संकलित किया जा रहा है।