दिल को खटके,
                   जरा हटके…
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लॉकडाउन में दरवाजा, खिड़की भी है बंद
समाजसेवी बने व्यापारी, धंधा खातिर चंद
धंधा खातिर चंद, बिन ‘पास’ वाहन दौड़ाते
मंडी से ‘अन्नदान’ बटोर, रिश्तेदारी पहुंचाते
हे ‘बहुरुपीय’ करें, सेवा ‘दूर-दराज’ जाऊन
धूम्रपान सामग्री पहुंचे, भले हो लाॅकडाउन

एस. टी. ‘बहुरूपीय’ (९३२४००६२६९) आपका व्यंग्यकार,आपकी आवाज.

(स्तंभ वर्ष – १२) – पुस्तक प्रकाशन हेतु स्तंभ को ‘सशक्त समाज’ न्यूज नेटवर्क पर संकलित किया जा रहा है।

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