File pict. - 'पिछले' वर्ष 'निमंत्रण' देने एक 'क्षेत्रिय युवा' नारायण दत्त त्रिपाठी 'पहुंचे' तो 'विधायकजी' खेत में 'गेहूं' कटाई में 'लीन' थे...

भाजपा की ‘पंचनिष्ठा’ का ‘बखान’ करने वाले चंद संगठन पदाधिकारियों ने तो भदोही जनपद में राजनैतिक ‘नवजीवन’ पा लिया लेकिन सुप्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ‘न्यूज 18’ के एक लेख को पढ़ने के बाद ऐसा महसूस होता है कि भदोही में ‘धर्मवान-फर्जवान’ प्योर भाजपाई ‘अटलवादी युग’ नेता अब ‘तामझाम युग’ में ‘हांसिये’ पर चल रहे हैं। ऐसे में ‘विचारणीय’ यक्ष प्रश्न उठना लाजमीं है कि कहीं ‘नोट’ की ‘छमाछम’ व ‘ताझझाम’ में पार्टी की ‘पंचनिष्ठा’ खो तो नहीं रही है। फिलहाल भदोही भाजपा संगठन में लौटे ‘पंचनिष्ठा’ पालकों के समक्ष भी ‘छलवाद’ है क्योंकि ‘संगठन पदाधिकारियों’ को भी ‘विधायक-सांसद’ का चुनावी टिकट ‘नहीं’ मिलता है। खैर आइये सुप्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ‘न्यूज 18’ द्वारा 10 अप्रिल 2018 को प्रकाशित यह लेख पढ़ते हैं…

आज के दौर में नेता बनना सबसे ज्यादा फायदे का सौदा माना जाता है. ऐसी आम धारणा है कि एक बार कोई विधायक या सांसद बन गया तो फिर उसके पास बेसुमार धन-दौलत आ जाती है. देश में कई नेता ऐसे हैं भी जिनकी दौलत जनप्रतिनिधि बनने के बाद सैकड़ों गुना बढ़ गई और आज उन पर गलत तरीके से संपत्ति दर्ज करने के तमाम मामले दर्ज हैं.
जनप्रतिनिधि बनने क बाद हर नेता की दौलत सैकड़ों गुना बढ़ जाए ऐसा भी जरूरी नहीं है क्योंकि हम आपको जिस बीजेपी नेता के बारे में बताने जा रहे हैं वो दो बार विधायक रह चुके हैं लेकिन आज तक उनके पास अपनी गाड़ी नहीं है. दलित समाज से आने वाले बीजेपी के इस पूर्व विधायक को उसके क्षेत्र में उसकी साधारण जीवनशैली की लिए जाना जाता है.
भाजपा के वरिष्ठ नेताओ में गिने जाने वाले भदोही के पूर्व विधायक पूर्णमासी पंकज न केवल शानों-शौकत के जीवन से दूर रहते हैं बल्कि एक साधारण किसान की तरह खेतों में काम भी करते हैं. पूर्णमासी पंकज भदोही से दो बार विधायक रह चुके हैं लेकिन आज भी वह साधारण किसान की तरह खेती-बाड़ी कर अपना जीवन-यापन कर रहे हैं. खेती के बाद जो समय मिल जाता है उसे पार्टी के लिए काम करने में लगा देते हैं.
पूर्णमासी पंकज साल 1991 में भदोही से विधायक चुने गए थे. 1996 के चुनाव में वो दोबारा विधायक चुने गए. चुनाव लड़ने से पहले पूर्णमासी पंकज शिक्षक थे और इलाके के लोगों की मांग पर उन्होने चुनाव लड़ा था. वह बताते हैं कि उस समय उन्होने पैदल और साइकिल से प्रचार करके मात्र 2 हजार रुपये में चुनाव जीते थे.
पूर्णमासी पंकज की जीवन शैली कैसी होगी इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आज तक उनके पास चार पहिया गाड़ी नहीं है. आज भी एक मोटर साइकिल और साइकिल ही उनका सहारा हैं. जिस घर में वह रहते हैं वो भी बिल्कुल साधारण है.
बीजेपी की शुरुआत से ही पार्टी के लिए काम करने वाले पूर्णमासी पंकज वैसे तो बीजेपी की कामयाबी से खुश हैं लेकिन इस बात की तकलीफ भी है कि अब पार्टी में पुराने कार्यकर्ताओं का ध्यान कम रखा जा रहा है. वहीं उनके क्षेत्र के लोग उनके साधारण रहन-सहन से काफी खुश हैं. इलाके के लोगों का कहना है कि आज के वक्त में ऐसे नेताओं का मिलना बहुत मुश्किल है.

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