लखनऊ – मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति का संदेश फिर दिया है। शुक्रवार को उन्होंने चार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई कर 43.95 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता में फंसे लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता आलोक रमन को बर्खास्त किया है, जबकि छह जिला विकास अधिकारी और परिवहन विभाग के तीन अधिकारियों को निलंबित करने के आदेश दिए हैं।
मुख्यमंत्री कार्यालय से कार्रवाई के संबंध में शुक्रवार को ट्वीट किया गया। जानकारी के मुताबिक, प्रांतीय खंड लोक निर्माण विभाग बस्ती के तत्कालीन अधिशासी अभियंता आलोक रमन पर 43.95 करोड़ रुपये के अनधिकृत व्यय का आरोप था। जांच में आरोप सही पाए जाने पर आलोक को निलंबित कर मुख्यालय से संबद्ध कर दिया गया था। करोड़ों की वित्तीय अनियमितता साबित होने पर मुख्यमंत्री ने अब आलोक रमन को बर्खास्त करने के आदेश दिए हैं। साथ ही निर्देश दिए हैं कि आलोक के कृत्य की वजह से किसी प्रकार की शासकीय क्षति हुई हो तो उसकी वसूली भी उनसे की जाए।
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ठेका बना गले की फांस– भदोही में त्वरित विकास योजना के तहत ५ करोड़ के प्रस्तावित सभी कार्यों की जांच हेतु भदोही मुख्यमंत्री कार्यालय से पत्र भेजा गया था, जिसकी जांच जारी है और खामियां भी पाई गई है। भदोही विधान सभा क्षेत्र में जारी विकास कार्यों में अधिकांशतः ठेका जहाँ विधायक रविन्द्र नाथ त्रिपाठी की पारिवारिक कंपनी में है, वहीं कुछ छोटे-मोटे कार्यों का ठेका इन्हीं के करीबी ठेकेदाारों के पास होती हैै। त्वरित विकास योजना के कार्यों की टेंडरिंग चंदौली करवाने को लेकर भदोही के एक ठेकेदार ने हाईकोर्ट में विशेष जांच हेतु याचिका भी दायर की है। फिलहाल यह ठेका कार्य अब भदोही विधायक के साथ अभियंताओं के लिये गले की फांस बन चुका है।
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भदोही में सीडीओ सख्त – त्वरित विकास योजना के तहत अभोली के कुढ़वा गांव में विमलेश के घर से मिश्रा बस्ती तक इंटरलाकिंग मार्ग में सीडीओ विवेक त्रिपाठी ने जांच कराई तो निर्माण में खामियां मिली थी। ‘सीमेंटेड ईंट’ के बजाए ‘सामान्य ईंट’ से इंटरलाकिंग कार्य मिलने पर धांधली को संज्ञान में लेते हुए सीडीओ ने नाराजगी जताई थी। जनवरी के दूसरे पखवाड़े में कई स्थानों पर ऐसे ही कार्यों की जानकारी मिलते ही सख्त चेतावनी दी थी। सीडीओ ने इस प्रकरण में अवर अभियंता आरईएस के साथ ही कार्यदायी संस्था के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए कहा था। जांच में पाया गया है कि अवर अभियंता आरईएस की ओर से बिना हकीकत देखे ही कार्यदायी संस्था को भुगतान कराने की संस्तुति कर दी। पत्र में कहा था कि उक्त काम मुख्यमंत्री की प्राथमिकता में है, जिसमें कार्रवाई न होने पर आपके खिलाफ ही शासन को पत्र लिखा जाएगा।
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लखनऊ से विवेक अवस्थी के साथ मोहन यादव..✍️
