उत्तर प्रदेश में ‘योगीराज सत्ता’ है और ‘जीरो टोलरेंस’ प्रणाली पर चलने का प्रत्यक्ष प्रमाण दिखने लगा है। जहां एक ओर भूमाफियाओं पर गाज गिरनी शुरू हो गई है, वहीं सत्तादल विधायक भी अपने कर्मों को दर्पण में देख भयभीत हैं। जगजाहिर है उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नाथ ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि उनके कार्यकाल में अपराध व भ्रष्टाचार करके बच पाना मुश्किल है। फिलहाल सत्तारूढ़ अथवा विपक्ष पार्टी का विधायक होकर जो शासनिक-प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष दंभ भरकर जांच रिपोर्ट की फाईलें दबवा लेते थे उन्हें भी झटका लगने लगा है। न्याय के लिये तड़पते जनमानसों के ‘योगीराज’ ने ऐसा जादू चलाया कि समांतर गाज गिरनी शुरू हो चुकी है। यहां कह सकते हैं कि ‘सांप भी मर रहे हैं और लाठी भी नहीं टूट रही है।’ इसे कहते उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ की निष्पक्षता।
गौरतलब है कि कैराना से सपा विधायक नाहिद हसन को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया गया. सपा विधायक नाहिद हसन को कड़ी सुरक्षा के बीच न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया है. दरअसल नाहिद हसन समेत 9 लोगों के खिलाफ जमीन में धोखाधड़ी का मुकदमा चल रहा था. इस मामले में विधायक की ओर से दाखिल जमानत अर्जी को शुक्रवार को खारिज कर दिया गया. इसके साथ ही कोर्ट ने विधायक को गिरफ्तार करने का आदेश भी जारी कर दिया. इससे पहले वह 7 दिनों की अंतरिम जमानत पर थे.
धोखाधड़ी का मामला – सपा विधायक नाहिद हसन और उनकी मां तबस्सुम बेग पर जमीन के बैनामे पर लगभग 80 लाख रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है. 2018 में कैराना के ही मोहम्मद अजीज ने थाने में शिकायत दर्ज कराई थी. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नाहिद हसन की समाजवादी पार्टी के बेहद सशक्त नेताओं में गिनती की जाती है.
भूमाफिया भयभीत – उत्तर प्रदेश के तथाकथित भू माफिया व भ्रष्टाचारी विधायकों में हड़कंप मच गया है, जिनके मामले न्यायालय में लंबित हैं या फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई चल रही है। जमीन कब्जा व धोखाधड़ी के मामले भी ‘योगीराज’ में अब फास्ट ट्रैक कोर्ट के माध्यम चल रहे हैं। जगजाहिर है कि फास्ट ट्रैक कोर्ट में न्यायाधीश महोदय संविधान व सबूत के दायरे में नेता-मंत्री-संत्री सबको चपेट देते हैं और न्याय देते समय यह नहीं देखते कि कोई सत्तादल का विधायक है या सपा-बसपा।
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