उत्तर प्रदेश के सबसे छोटे जिले के रूप में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त भदोही जनपद का गांव-गांव भ्रष्टाचार की गिरफ्त में है। सरकार भले ही भ्रष्टाचार को खत्म करने को लेकर वादे करती हो लेकिन जमीनी हकीकत में कोई विशेष बदलाव नहीं है। बड़े शर्म की बात है कि शासनिक अधिकारियों की सक्रियता के बाद भी विभिन्न जनसेवा कार्य हेतु असंवैधानिक तरीके से अधिकांशतः गांव में ग्राम प्रधान हों या कोटेदार वसूली करने से बाज नहीं आते हैं।

ऐसा ही मामला इन दिनों भदोही जिले के स्थानीय ब्लाक अन्तर्गत कंसरायपुर में देखने को मिल रहा है, जहां कोटेदार द्वारा कार्ड धारकों सौ-सौ रूपया लेकर कार्ड वितरित किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि कोटेदार के डरवश लोग सामने आने से कतरा रहे है। इस मामले में जब ग्राम प्रधान से पूछा गया तो उन्होनें इस बात को बेबुनियाद और एक राजनीतिक साजिश बताया। यह गौर करने वाली बात है कि बुजुर्गगण यदि यथार्थ बयां कर रहे हैं तो वह भी ग्राम प्रधान राजनीतिक साजिश बता रहे हैं।आखिरकार ऐसा हो भी क्यों नहीं..कंसरायपुर के ग्राम प्रधान और कोटेदार एक ही परिवार के है। गांव में इनका दबदबा है और लोग इनकी शिकायत करने से डरते है। फिर भी कंसरायपुर के कुछ लोगो ने कैमरे पर आकर यथार्थ बयां किया और बताया कि निर्धारित मात्रा से कम राशन देते है और अधिक दाम भी लेते है। अब सवाल यह उठता है कि ऐसी समस्याओं की सुचना किसे दिया जाय क्योंकि साजिशों के दौर में यथार्थ बयां करने वालों को ही हलाकन झेलना पड़ता है। समस्याओं से पीड़ित लोगों की गुहार पर यदि शासनिक अधिकारियों द्वारा ठोस कार्यवाही की जाय तो शायद ग्राम के अंतिम पंक्ति में खड़े गरीब ग्रामीणों को कुछ न्याय-राहत मिले। जगजाहिर है कि भदोही जनपद के सिर्फ एक गांव की यह कहानी नहीं है बल्कि अधिकांशतः गांव इसी पीड़ा से ग्रसित हैं। (न्यूज की उपरी सतह पर बुजुर्गों की पीड़ा व ग्राम प्रधान की ज्ञानवर्धक प्रतिक्रिया का विडियो है…ध्यान से अवश्य देखिये और सुनिये…)

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