जीवदानी मंदिर पालघर जिले विरार के (पूर्व) में शीर्ष पहाड़ी पर है, इस मंदिर से कई पौराणिक रहस्मयी तथ्य जुड़े हैं। पौराणिक तथ्यों में यह भी समाविष्ट बताया जाता है कि पांडवों ने वनवासी क्षण में सतपुरा पर्वतों में एकवीरा माता को एक गुफा में स्थापित किया था। पांडवों ने उस समय इस मंदिर के आस-पास ऋषियों और मुनियों के लिए जप-तप करने हेतु भी कई गुफाओं का निर्माण किया था। यही कारण है कि इस क्षेत्र को पांडव डोंगरी के नाम से भी जाना जाता हैं। वर्षों पूर्व यह शहर एक-वीरा नाम से जाना जाता था। इसी वजह से इस मंदिर को भी एकविरा देवी के नाम से जाना जाता था। बताया जाता है कि मुगलों और पुर्तगालियों के हमले में मंदिर जीर्ण शीर्ण अवस्था में पहुंच गया था। तब कुछ ही स्थानीय लोग माता के दर्शन करने आते थे, उन्हीं सभी श्रद्धालुओं की आस्था प्रज्जवलित होती चली गई, जिससे अब हजारों की संख्या में भक्तगणों की उपस्थिति यहां होती है। मंदिर वैतरणा नदी के किनारे और सातपुरा पहाड़ी क्षेत्र में बसा हुआ है। वर्तमान में लोग जीवदानी माता के नाम से जानते हैं।
जीवनदायी पहाड़ी – यहां के कुछ जानकार बुजुर्ग बताते हैं कि सातपुरा पहाडिय़ों में पहले जीवनदायी औषधियां मिलती थी। इन्हीं औषधियों से वैद्य असाध्य रोगियों के प्राणों की रक्षा करते थे। मान्यता यह भी है कि इसी वजह से माता का नाम जीवदानी पड़ गया। तब से लोग इन्हें जीवदानी माता कहने लगे। जीवदानी का अर्थ है, जीवन देने वाली माता।
