
भदोही जनपद में एसपी राम बदन सिंह के परिपक्क अनुभव व प्रशासनिक कार्य कुशलता से भ्रष्टाचारियों की नींव जहां हिलती नजर आ रही है, वहीं राज्य के मुखिया योगी आदित्यनाथ की ‘भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम’ के समर्थन में थाना स्तरीय टीमें भी अडिग हैं। जगजाहिर है कि ‘साक्ष्य’ की ‘चीख’ से ‘भ्रष्टाचार’ की जांच झेलने वाले कुछ रसूखदार भ्रष्टाचारी कानूनी दांव-पेंच में याचिका कर्ताओं को भदाही जनपद में फंसाते रहते हैं। खैर…भदोही जनपद में ‘भ्रष्टाचारी’ व ‘ठगहारे’ जब भी शासनिक-प्रशासनिक जांच की आंच में तपते हैं तो फर्जी आरोप एफआईआर प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष माध्यम से याचिकाकर्ताओं पर ही ठोंक देते हैं। ऐसा हम नहीं कह रहें हैं बल्कि करीब आधा दर्जन भ्रष्टाचार के खुलासे व जांच मामले में दस्तावेज व तथ्य ही बहुत कुछ बयां करते रहे हैं। फिलहाल एक मामले में ‘आदर्श कोतवाली’ गोपीगंज से जारी आख्या रिपोर्ट में तो ‘महुआरी’ प्रधान के धमकीबाज ‘पति’ ही ‘प्रधान’ बतौर उल्लेखित नजर आ रहे हैं।

गौरतलब है कि भदोही जनपद के गोपीगंज कोतवाली अंतर्गत जंगीगंज चौकी के दायरे में धनीपुर ‘महुआरी’ गांव है, जहां विकास कार्यों में हुये लाखों रूपये के भ्रष्टाचार की गवाही साक्ष्य चीख-चीखकर दे रहे हैं, जिसकी जांच हेतु ग्राम वासियों के ‘पंच’ शपथपत्री निवेदन पर भदोही डीएम ने जांच का आदेश दिया है। इतना ही नहीं डीपीआरओ द्वारा जांच कमेटी गठित करने की खबरें भी मिल रही है। जांच की मांग करने वालों की मानें तो ‘महुआरी’ ग्राम प्रधान के ‘परिवार’ ही नहीं बल्कि ‘पट्टीदारी’ से ही कुछ ‘कमाऊ सदस्य’ भी ‘भ्रष्टाचारी’ यांनि ‘ठगहारा’ सिद्ध होते नजर आ रहे हैं क्योंकि ‘महुआरी’ ग्राम के विकास में इन्हीं पट्टीदार भाई-बंधूओं ने ‘यथार्थ’ के साथ ‘कागजी’ मटेरियल सप्लाई किया है। भ्रष्टाचार जांच की मांग करने वाले याचिकाकर्ता ‘महुआरी’ ग्राम प्रधान ‘पति’ की पूर्ववत् धमकियों से सहमें हुये हैं।

बताया जा रहा है कि सर्वोच्च स्तरीय गहरी पैठ लगाकर प्रधान ‘पति’ जहाँ जांच उलझाने के लिये कुटिनीतिक अंदाज में राजनीतिक खेमे के मुखियाओं के दरबार में भाग-दौड़ लगाकर थकहार रहे हैं, वहीं प्रधान ‘पति’ के भाई-बंधू ही नहीं बल्कि ‘पट्टीदारी’ के कुछ सदस्य भी याचिकाकर्ताओं के खिलाफ साजिश रच रहे हैं। आदर्श कोतवाली गोपीगंज के कोतवाल शायद इस भ्रष्टाचार जांच के मामले से पूर्ववत् वाकिफ हैं। इसलिये साजिशन एफआईआर करवाने पहुँच रहे भ्रष्टाचारियों का सिंडिकेट यहां फेल हो रहा है। फिलहाल फर्जी आरोप एफआईआर डाइरेक्ट तो नहीं लिखा जा रहा है लेकिन याचिकाकर्ताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार की हरियाली नोट के दम पर करीबीयों को मोहरा बनाकर फर्जी आरोप शिकायती पत्र डीएम-एसपी कार्यालय जमा करवाया जा रहा है। मुख्य उद्देश्य है कि कैसे भी शासनिक जांच रूके या भ्रष्टाचार का दस्तावेजी खुलासा करके जांच की मांग करने वालों को ही फंसाकर ठीकाने लगा दिया जाये।
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सीओ कालू सिंह से ‘सशक्त समाज’ न्यूज नेटवर्क ने इस मामले में प्रतिक्रिया लिया, जहां उन्होंने स्पष्ट किया कि मामला विवेचना कर्ताओं के अधीन है। यदि आख्या रिपोर्ट में लिखित तथ्यों में त्रुटि या आपत्ति है तो लिखित शिकायत याचिकाकर्ताओं द्वारा दर्ज करवायी जायेगी तो उस पर भी त्वरित संज्ञान लिया जायेगा। धारावाहिक लिखे जाने तक आदर्श कोतवाली गोपीगंज के कोतवाल से प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई थी।

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