उत्तर प्रदेश के सबसे छोटे व हाईटेक जिले भदोही में भाजपा संगठन जिलाध्यक्ष पद का चुनाव हो रहा है। ऐसे में मुंबई–दिल्ली बैठे सामाजिक-धार्मिक व राजनैतिक जनपद वासियों की नजर टिकी है, विधायक-सांसद भी अपने प्रतिनिधियों को इस सर्वोच्च जनपदीय पद की कुर्सी दिलावानें में, भले प्रस्तावक की भी हैसियत नहीं है लेकिन भदोही से लखनऊ-दिल्ली तक दांव फिट करने हेतु पूरी ताकत झोंक रहे हैं। फिलहाल भाजपा प्रदेश संगठन कार्यकारिणी की विशेष निगरानी में जिला अध्यक्ष चुनाव में संगठनात्मक नीतियों का सर्वश्रेष्ठ पालन शुरू हो चुका है।

खैर..२० नवंबर को जनपदीय संगठन चुनाव में नामांकन स्थल से विधायक-सांसद ही नहीं बल्कि पूर्व जिलाध्यक्ष को भी दूर रहने का सख्त निर्देश था। इन प्रतिभावान नेताओं को पद गरिमा बतौर नही वहां जाने की अनुमति नहीं थी ताकि पारदर्शिता-निष्पक्षता बनी रहे। भाजपा संगठन द्वारा रोक के बाद भी औराई विधायक दीनानाथ भाष्कर भदोही भाजपा कार्यालय पहुँचे। इसे लेकर जनपदीय वरिष्ठ भाजपा नेताओं व युवा उम्मीद्वारों में आंतरिक रोष व्याप्त है। भदोही भाजपा जिलाध्यक्ष पद के उम्मीद्वारों में खुली चर्चा है कि ‘उन्होंने उनके चहेतों के पक्ष में उपस्थिति स्वरूप अनैतिक दबाव भी बनाने का प्रयास किया, जोकि भाजपा संगठन की नियमावली का उल्लंघन है।’ भदोही भाजपा संगठन से लेकर स्थानीय राजनीति व मिडिया गलियारे में चर्चा है कि औराई विधायक दीनानाथ भाष्कर के करीबियों में से राजेंद्र दुबे (महामंत्री) व एक महिला नेत्री ने चुनाव में प्रतिभाग किया है। इसके साथ ही भदोही विधान सभा में पिछले वर्ष ‘भदोही के तीन लाल‘ नामक बैनर लगने के बाद से जिलाध्यक्ष व राजेन्द्र दूबे (महामंत्री) ने भदोही, ज्ञानपुर की अपेक्षा औराई विधान सभा क्षेत्र में अत्यधिक सेवाभावी कार्यों हेतु डेरा जमाया था। अब भाजपा जिलाध्यक्ष पद हेतु चुनावी पर्चा भरने पहुंचे संगठनात्मक सदस्यों में एकदूजे से यही सवाल है कि औराई विधायक दीनानाथ भाष्कर किसका पर्चा भरने आये थे। एक जिलाध्यक्ष पद प्रत्याशी ने अनौपचारिक रूप से बताया कि ‘इस मामले में भदोही विधायक रविन्द्र नाथ त्रिपाठी समर्थक अनील मिश्रा व पूर्व भदोही सांसद के बेटे प्रताप सिंह सांसद प्रतिनिधि रहे शैलेन्द्र दूबे के लिये पूरी ताकत झोंक दी है लेकिन वहां से भी कोई नहीं आकर संगठन के आदेश व नियमावली का पालन किया। हालाकि वर्तमान सांसद रमेश बिंद ने किसका समर्थन किया है यह जानकारी नहीं है।’
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सबसे बड़ा संकट – भदोही भाजपा संगठन में महामंत्री राजेन्द्र दूबे जगजाहिर है कि औराई विधायक दीनानाथ भाष्कर के करीबी व वर्तमान जिलाध्यक्ष के भी अति करीबी रहे हैं, जिनके लिये मंडल अध्यक्ष प्रस्तावकों की व्यवस्था भी हो गई थी लेकिन संगठन द्वारा प्रस्तावक नियमावली में पारदर्शिता लाते ही काम बिगड़ गया और अब भी दावेदार बतौर चुनावी प्रत्याशी हैं लेकिन संगठन नियमाावली में निर्देश है कि जिलााध्यक्ष पद हेतु कम से कम दो बार का सक्रिय सदस्य होना जरूरी है, जबकि राजेंद्र दुबे अभी पहली बार ही सक्रिय सदस्य और महामंत्री बने हैं। बताया जा रहा है कि पूर्व सांसद भदोही व वर्तमान सांसद बलिया के वीरेेन्द्र सिंह (मस्त) के संसदीय क्षेत्र से मुख्य चुनाव अधिकारी आये हैं और अब जिला अध्यक्ष के चुुुनाव में पूर्ण पाारदर्शिता से सक्रिय संगठनात्मक आदर्शोंं को निभा रहे हैं लेकिन अधिकांश प्रत्याशियों को उनका जनपद के एक विधायक के सर्व सुविधा युक्त प्रतिष्ठान में ठहरना रास नहीं आ रहा है।