मेरी असली दीपावली 30 अक्टूबर को मां शारदे के धाम मैहर में होगी। बल्कि यह कहें कि इसी दिन होली- दीपावली सब एक साथ होंगे। मां शारदे की कृपा से कई मित्रों का सानिध्य मिलता है और कई नई मित्रता का सृजन भी होता है। यह सिर्फ एक धार्मिक यात्रा ही नहीं वरन् प्रेम के संबंधों के मिलन का समारोह भी होता है। बिछड़ने के दर्द को अहसास तभी करेंगे जब मिलेंगे। जब मिलेंगे ही नहीं तो बिछड़ेगें कैसे। इसलिये मिलता हूं, जुड़ता हूं, शिकवे करता हूं, शिकवें सुनता हूं, नाराज होता हूं, मनाता हूं। यहीं तो जीवन का आनन्द हैं। जहां प्रेम होता है, वहीं आनन्द भी होता है। जुड़े रहने पर ही शिकवे रहते हैं। जहां प्रेम है, वहीं शिकवे शिकायत हैं। यदि प्रेम नहीं है तो उसे बिल्कुल भूल जाईये। प्रेम के पलों का आनन्द लेना ही जीवन है। फिलहाल देखते हैं इस बार मां शारदे के दरबार में कितने दुबारा मिलते हैं और कितने नये बनते हैं।

आईये 30 अक्टूबर को मैहर में बाबा पाण्डेय के साथ मां का जयकार लगाईये। यात्री निवास में स्नान कीजिये और 31 की सुबह मां के दरबार में हाजिरी लगाकर आनन्द से जीने की चाह रखिये।

राधे—राधे! इसके आयोजक स्वयं हनुमान जी हैं। व्यवस्था से खुश होईये तो हनुमान जी को धन्यवाद दीजिये और कोई परेशानी हो तो बजरंग बली से शिकायत कीजिये। उन्हीं के पास सब समाधान हैं। राधे—राधे।

हरीश सिंह…✍️

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