भदोही – काशी-प्रयाग मध्य में ऐतिहासिक ‘आश्विन पुर्णिमा महोत्सव’ मेला का १२४वां वर्ष हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ है, जहां धार्मिक-सांस्कृतिक अद्भुत छटा में बचपन-पचपन नहीं बल्कि ‘पचासी’ वर्ष वाले बुजुर्ग भी बचपन की याद में जलेबी के ठेले पर नजर आये। यहां इस बार भी ‘मेला’ में ‘ठेला’ सम्मान योजना सुर्खियों में रही।
गौरतलब है कि भदोही जनपद के तहसील ज्ञानपुर अंतर्गत अकोढ़ा गांव है, जहां ‘आश्विन पुर्णिमा महोत्सव’ मेला निखरते हुये हरियाली बयां करता है। वर्तमान भदोही भाजपा अध्यक्ष हौसिला प्रसाद पाठक के पुश्तैनी गांव में इस मेला का स्थापना सन् १८९५ में हुआ था।
संकल्पश्रेष्ठ ‘श्रीराम-जानकी चबूतरा’…सामाजिक-सांस्कृतिक अलख के साथ धार्मिक अलख जगाने हेतु आगामी पीढ़ी के तत्कालीन युवाओं ने ‘रामलीला’ सहित विभिन्न आयोजनों का प्रयास किया लेकिन निरंतरता सिर्फ ‘श्रीराम चरित मानस पाठ’ यज्ञ- हवन में ही सिद्ध हो पाई। २५ वर्षों तक निरंतर ‘मानस पाठ’ का संकल्पबद्ध नेतृत्व करने वाले बंसराज पाठक ने अब युवाओं को नेतृत्व सौप दिया है। ३२वें वर्ष में भी यहां धार्मिकता की विशेष लहर नजर आई।
सम्मानीय उपहारों से सम्मान..‘श्रीराम जानकी चबूतरा’ पर १२-१३अक्टूबर ‘श्रीराम चरित मानस पाठ’ के दौरान जहां जिले सहित दूर-दराज के रामायणी कलाकारों संगीतमय धार्मिक सुर की छटा बिखेरा, वहीं आवंतुक भक्तगणों का भी निरंतर विशिष्ट सम्मान जारी था। बताया जा रहा है कि इस वर्ष भी समयानुसार जलपान एवम् महाप्रसाद भंडारा की व्यवस्था तटस्थ रही। इसके ही ‘मेला’ में ‘ठेला’ सम्मान के बाद उपस्थित विशिष्ट आयोजन सहयोगी सदस्यों ने जनसमाज का आभार प्रकट करते हुए राहत की सांस ली।
न्यूज ब्यूरो – नीरज शुक्ला..✍️