भदोही जनपद में पल रहे भ्रष्टाचार पर ‘मातृभूमि मंथन’ पड़ताली धारावाहिक आखिरकार ब्राह्मस्त सिद्ध हुआ। ‘सशक्त समाज’ न्यूज नेटवर्क पर प्रकाशित खबरों का असर देखने को मिला। ‘त्वरित विकास योजना’ का ‘बांड’ बनाने से शासनिक अभियंता का अब इंकार भी लोकतान्त्रिक व संविधानिक नियमावली का विशेष सम्मान है। अब कहा जा सकता है कि देर आये लेकिन दुरूस्त आये और भ्रष्टाचार के खिलाफ राज्य के मुखिया योगी आदित्यनाथ की मुहिम अलख बन गई। खैर..औराई विधायक दीनानाथ भाष्कर ने जहां खुलकर राज्य के मुखिया योगी आदित्यनाथ की भ्रष्टाचार विरोधी नीतियों के साथ प्रस्तावित कार्यों की जानकारी दी, वहीं ज्ञानपुर विधायक विजय मिश्रा ५ करोड़ नहीं मिलने के कारण बच निकले लेकिन भदोही विधायक रविन्द्र नाथ त्रिपाठी ने सर्वश्रेष्ठ ‘भ्रष्टाचार’ आरोप से घिरे मामले को ऐसा उलझाया कि आज करीबन यह ‘भ्रष्टाचार कांड’ सिद्ध होने की दहलीज पर है। विधायक का दावा था कि ५ करोड़ का विकास कार्य पूरा हो चुका है लेकिन कार्य स्थल व ठेकेदार की जानकारी उनके पास नहीं थी। जहां विधायक परिवार की ही दिव्या कंस्ट्रक्शन कंपनी के मैनेजर भतिजे चंद्र भूषण त्रिपाठी (पप्पू) ने स्वयं उन्हें मिले टेंडर का ‘बांड’ नहीं बनने की प्रतिक्रिया दी थी। ऐसे में सवाल यह उठना लाजिमी था कि ‘जब टेंडर का ‘बांड’ ही ठेकेदार ने नहीं भरा तो ‘बिना वर्क आर्डर’ विकास कार्य कैसे संपन्न हो सकता है।
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मामला हाईकोर्ट में, यहां मची बौखलाहट त्वरित विकास योजना’ की धनराशि भ्रष्टाचार की बलि चढ़ने ही वाली थी कि अचानक जनहित याचिका दायर हो गई। ऐसे में ५-५ करोड़ के विकास कार्य की टेंडरिग एवम् कार्यकलाप की फाईल हाईकोर्ट के माननीय न्यायाधीशों ने तलब किया है। २ तारीख को ही ठोस निर्णय भदोही जनपदवासियों के समक्ष आ जाता लेकिन हाईकोर्ट में चल रही हड़ताल की वजह आगामी तारीख निर्धारित चल रही है। बौखलाहट का आलम यह है कि विधायक के बेटे ने जहां बेबुनियाद आरोप लगाकर ज्ञानपुर थाना में मामला दर्ज करवाया था, वहीं अब उक्त आरोप में ही धारा बढ़वाकर विधायक रविंद्र नाथ त्रिपाठी ने स्वयं इस कलमकार के साथ ‘सशक्त समाज’ संपादक व जनहित याचिका कर्ता एवम् खबरों को फारवर्ड करने वाले भाजपाई युवाओं पर जघन्य आरोप मामला दर्ज करवाया है। मुख्यतः इसके पीछे मंशा साफ है कि हाईकोर्ट से भ्रष्टाचार मामले की जनहित याचिका को वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है।
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दिग्भ्रमित मत रहिये, नजर रखिये…विधायक व उनके परिवार द्वारा इस मामले में दिग्भ्रमित करने हेतु उनके अन्य व्यवसायों का हवाला देकर इस भ्रष्टाचार के मामले से भदोहीवासियों का ध्यान भटकाया जा रहा है। जैसे कलमकार दिग्भ्रमित नहीं हुआ, वैसे ही आप भी दिग्भ्रमित मत होईये और मामले पर नजर रखिये क्योंकि अभी भी ३-३ करोड़ से ज्यादा की विकास धनराशि सुरक्षित है।
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ऐसी पारदर्शिता हमनें ना देखी थी…हमनें १६ वर्षीय पत्रकारिता के दौरान कई योजनाओं की पड़ताल की लेकिन भदोही जनपद जैसी पारदर्शिता कहीं नजर नहीं आई और आलम यह है कि भदोही जनपद के जनप्रतिनिधियों व मजबूर स्थानीय नेताओं द्वारा अभी भी ‘त्वरित विकास योजना’ प्रस्तावित कार्यों का बैनर लगवाना तो सुची तक नहीं जारी की गई। ऐसे में भदोही जनपद को व्यंग्यात्मक ‘धन्य-धन्य’ जड़ित शब्दों से नमन करता हूँ। इतिश्री ‘भ्रष्टाचार कथा..🥀
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