न्याय व्यवस्था के मान्य नियमों के विरूद्ध स्वार्थ की पूर्ति के लिए गलत आचरण करने वाले भ्रष्टाचारी कहलाते हैं। जहां एक ओर आर्थिक, सामाजिक या सम्मान, पद -प्रतिष्ठा की त्वरित प्राप्ति हेतु व्यक्ति अपने आपको भ्रष्ट बना लेता है, वहीं दूसरी ओर हीनता और ईर्ष्या की भावना से दुखीत व्यक्ति भ्रष्टाचार को अपनाने के लिए विवश हो जाता है। इसके साथ ही भाई-भतीजावाद को भी भ्रष्टाचार का मुख्य केंद्र माना जाता है। सरकारी टैक्स की चोरी, झूठी गवाही, झूठा मुकदमा, परीक्षा में नकल, परीक्षार्थी का गलत मूल्यांकन इत्यादि भी भ्रष्टाचार के जनक हैं। राजनैतिक ओहदा मिलते ही कुछ परिवादमोही नेताओं के भाई-भतिजे-बेटे तो अहंकारिता के पथिक बन जाते हैं। क्षेत्रीय जनमानस की भावनाओं को आहत करते हुये सरकारी धनराशि को भ्रष्टाचार की बलि चढ़ाते हुये स्वयंभू ‘जनतंत्र मसीहा’ का किरदार निभाने से बाज नहीं आते हैं। हमारे देश का अधिकांश तबका आज कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार से क्षुब्ध है लेकिन राजनीतिक चोले में बैठे सफेदपोश भ्रष्टाचारी इन्हें न्याय दिलाने के बजाय छलनी करने से नहीं पिछड़तेे हैं। हमारे देश में भ्रष्टाचार तेजी से बढ़ता रहा है लेकिन जगजाहिर है कि इसकी जड़े धरातल पर हैं। इसे रोकनेे में समाज के मध्यमवर्गीय लोगों को अहम भूमिका निभाने की जरूरत है। संविधानिक शिकंजा – भ्रष्टाचार एक संक्रामक रोग की तरह है। विभिन्न स्तर पर फैले भ्रष्टाचार से हमारा समाज दुखी-ग्रसित है। सफेदपोश नेता तो छोड़िये बल्कि कुछ जनप्रतिनिधि भी इसे शिष्टाचार समझ बैठे हैं। अब कठोर दंड-व्यवस्था के साथ एक्शन की जरूरत है। जनप्रतिनिधि एवम् उनके पारिवारिक सदस्यों पर विशेष संविधानिक शिकंजा मौजूदा सरकार द््वारा निष्पक्ष कसा जाना चाहिए क्योंकि संविधान की शपथ लेकर भी कुछ जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र की जनता को विकासप्रिय न्याय देने या दिलवाने में असक्षम हैं। आजकल तो भ्रष्टाचार के विरूद्ध आवाज उठाने वालों के खिलाफ ही बेबुनियाद आरोप लगाकर जनप्रतिनिधि दंड-बैठक शुरू कर देते हैं।

स्वयं में ईमानदारी को दीजिये जन्म… समय की मांग है कि अब सर्वसमाज के जागरूक युवाओं से लेकर बुजुर्गों को भ्रष्टाचार के खिलाफ मैदान एॅ जंग में कूदना पड़ेगा। समाज के जागरूक लोगों को स्वयं में ईमानदारी विकसित करना होगी। इसके बाद समाज में इस भ्रष्टाचारी नासूर के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाना होगा। यदि लोकतान्त्रिक अधिकारों का अभी सदुपयोग हुआ तो ही आने वाली पीढ़ी तक सुआचरण का लाभांश मिलेगा।
